संदीप पौराणिक==== भोपाल, 9 अक्टूबर| दशहरे पर दहन किए जाने के लिए रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों की मांग कम नहीं है। पांच फुट से लेकर 40 फुट तक के पुतले बनाने का क्रम जारी है। मौसम जरूर पुतलों के निर्माण में खलल पैदा कर रहा है, पर मांग बनी हुई है।
राजधानी का लिंक रोड नंबर दो हो या हबीबगंज स्टेशन से मैनिट को जाने वाली सड़क, यहां रावण का पुतला बनाने वाले खूब नजर आते हैं। सड़कों के किनारे अधबने पुतले रखे हैं, जिन्हें बांस की तीलियों के सहारे पुतलों आकार दिया जा रहा है। रंगबिरंगे कागजों से पुतलों को ढका जा रहा है और एक से लेकर 100 सिर वाले रावणों के सिर तैयार किए जा रहे हैं।
पुतला बनाने वाले संतोष जनक बताते हैं, “महंगाई से पुतलों की कीमत बढ़ी है, मगर मांग में कमी नहीं आई है। दशहरे पर पुतलों के दहन की परंपरा वर्षो से चली आ रही है। मैं भी पिछले कई वर्षो से पुतले बनाकर बेचता आ रहा हूं, पर इस बार महंगाई कुछ ज्यादा ही है। यही कारण है कि 40 फुट का पुतला लगभग 30 हजार रुपये में बिक रहा है। मेरे पास भोपाल के अलावा बैतूल, टिमरनी, हरदा आदि स्थानों से भी पुतले बनाने के ऑर्डर मिले हैं।”
जनक के मुताबिक, “कहीं सिर्फ रावण के पुतले का दहन किया जाता है तो कहीं कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतले भी साथ में जलाए जाते हैं। जहां जैसी जरूरत है, उसी के मुताबिक उन्हें ऑर्डर मिले हैं। पिछले कुछ दिनों में कई बार हुई बारिश ने जरूर काम की रफ्तार को प्रभावित किया है।”
इसी तरह इस काम में लगे श्यामलाल बताते हैं कि पुतलों का दहन करने वाली समितियों द्वारा अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार उन्हें पुतले बनाने के ऑर्डर मिलते हैं। कीमत को लेकर उनका कहना है कि पुतले की ऊंचाई, आकार और पुतलों में भरी जाने वाली आतिशबाजी के अनुसार दाम तय होते हैं। जितनी ज्यादा आतिशबाजी पुतले में भरी जाएगी, दाम उतने ही ज्यादा होंगे।
पुतलों का निर्माण कुछ कारीगर ऑर्डर मिलने पर ही करते हैं तो कई छोटे आकार के पुतले बनाकर रख लेते हैं, जो खुले बाजार में बेचे जाते हैं।
दशहरे पर दहन के लिए बनाए जा रहे पुतलों के काम में बारिश ने बड़ी बाधा पैदा कर दी है, क्योंकि आकार ले रहे पुतलों को सुरक्षित रखना बड़ी चुनौती बन गई है। रावण का पुतला बनाने वालों ने इन्हें बरसाती आदि से ढक दिया है। इसके बावजूद मौसम की मार से रावण के पुतलों के प्रभावित होने की आशंका बनी हुई है।
एक तरफ महंगाई की मार है तो दूसरी ओर मौसम की मार। इसके बावजूद दशहरे पर दहन के लिए पुतलों को अंतिम रूप दिया जा है। विभिन्न आयोजक समितियों ने एक-दूसरे से बड़ा, भव्य और जोरदार आतिशबाजी वाला रावण बनवाने के ऑर्डर दिए गए हैं।
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