दस्तावेजों को गुम करना राष्ट्रविरोधी गतिविधि : नकवी

नई दिल्ली, 16 जून | केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने गुरुवार को कहा कि इशरत जहां मामले से संबंधित दस्तावेजों को गुम करना एक ‘राष्ट्रविरोधी’ गतिविधि है और इसमें जो लोग शामिल हैं, उन्हें दंडित किया जाएगा। नकवी की यह प्रतिक्रिया समाचार पत्र ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में छपी उस रिपोर्ट के मद्देनजर आई है, जिसके मुताबिक गुम दस्तावाजों से संबंधित मामले की जांच कर रहे एक अधिकारी ने एक दूसरे अधिकारी को ‘पट्टी पढ़ाने’ का प्रयास किया।

नकवी ने यहां संवाददाताओं से कहा, “हर संभव प्रयास (गुम दस्तावेजों का सच सामने लाने के लिए) किए जा रहे हैं। यह एक आपराधिक षड्यंत्र तथा राष्ट्र-विरोधी गतिविधि है। इसमें शामिल किसी भी व्यक्ति को नहीं बख्शा जाएगा।”

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने चिदंबरम पर आरोप लगाया है कि उन्होंने इशरत जहां मामले में सितंबर 2009 में दूसरा हलफनामा दायर किया, जिसमें उन्होंने इशरत जहां के लश्कर-ए-तैयबा से कथित संबंधों की बात हटा दी और इसे कथित तौर पर फर्जी मुठभेड़ करार देते हुए इसकी केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच की सिफारिश की।

भाजपा ने आरोप लगाया है कि चिदंबरम ने कांग्रेस के उस रुख के अनुसार पहले हलफनामे में संशोधन किया, जिसके अनुसार इशरत जहां निर्दोष थी और मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली गुजरात सरकार के आदेश पर 15 जून, 2004 को उसे तथा तीन अन्य लोगों को फर्जी मुठभेड़ में मार गिराया गया।

वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि मामले से संबंधित कुछ दस्तावेज गुम हुए हैं और इसकी जांच का जिम्मा अतिरिक्त सचिव (विदेश) बी.के.प्रसाद को सौंपा गया।

प्रसाद ने गुरुवार को अपनी रिपोर्ट गृह सचिव को सौंप दी।

‘इंडियन एक्सप्रेस’ की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रसाद ने गृह मंत्रालय में साल 2011 में निदेशक रहे अशोक कुमार से कहा कि उनसे पूछे जाने वाले सवालों का उन्हें वही जवाब देना है, जो उन्हें सिखाया जाएगा।

समाचार पत्र ने अपनी वेबसाइट पर प्रसाद तथा अशोक कुमार के बीच कथित बातचीत की रिकॉर्डिग भी जारी की है।

ज्ञात सूत्रों का कहना है कि अब सरकार इशरत जहां मामले से संबंधित दस्तावेज कैसे और कब गुम हुए, इसके लिए सीबीआई जांच का आदेश दे सकती है।

–आईएएनएस

(फाइल फोटो)