दिल्ली में घर बनाने में आने वाली अड़चनें हुईं खत्म

नई दिल्ली, 30 मार्च (जनसमा)। दिल्ली में भवन निर्माण में आनी वाली अड़चनों को काफी कम करते हुए केंद्र सरकार द्वारा एकीकृत भवन निर्माण उप-नियमों को 33 साल बाद संशोधित किया गया है। नये कानूनों के बारे में विस्तार से बताते हुए केंद्रीय शहरी विकास मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि पिछले तीन दशकों के दौरान हुए अनेक संशोधनों के एकीकरण एवं सरलीकरण और विभिन्न एजेंसियों द्वारा दी गई मंजूरियों को एकल प्लेटफॉर्म में एकीकृत करके इन उप-नियमों को उपयोगकर्ता अनुकूल बना दिया गया है।

वेंकैया नायडू ने यह भी कहा कि अब से भवन निर्माण के प्रस्तावक यानी आवेदक विभिन्न एजेंसियों से संपर्क साधने के बजाय संबंधित स्थानीय शहरी निकाय में एकल ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इस तरह मानवीय संवाद को कम कर दिया गया है जिससे महज 30 दिनों में मंजूरी मिल जाया करेगी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में भवन निर्माण में सुगमता बढ़ाने के उद्देश्य से एकल खि‍ड़की व्यवस्था को अब प्रभावी कर दिया गया है, जिसकी वकालत प्रधानमंत्री कार्यालय करता रहा है। उन्होंने कहा कि इसका एक उद्देश्य निवेश बढ़ाना भी है।

निम्नलिखित नये प्रावधानों के जरिये प्रक्रियाओं के सरलीकरण एवं एकीकरण के माध्यम से भवन निर्माण योजना से जुड़ी मंजूरियों को सुचारू बना दिया गया है :

1. भवन निर्माण के प्रस्तावकों (आवेदक) द्वारा संबंधित स्थानीय शहरी निकाय में ऑनलाइन आवेदन के लिए एक साझा एकल आवेदन प्रपत्र तैयार किया गया है। इसके लिए अब विभिन्न एजेंसियों जैसे कि भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण, राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण, दिल्ली अग्निशमन सेवा, दिल्ली जल बोर्ड, दिल्ली शहरी कला आयोग, दिल्ली मेट्रो, बिजली वितरण कंपनियों और संबंधित केंद्रीय मंत्रालयों जैसे कि वन, रेलवे, रक्षा इत्यादि के यहां आवेदन करने की आवश्यकता नहीं रह गई है।

2. आवेदकों के लिए अब यह जरूरी नहीं रह गया है कि वे विभिन्न एजेंसियों को अलग-अलग अपेक्षित भुगतान करें। इसके बजाय अब वे संबंधित स्थानीय शहरी निकाय को इलेक्ट्रॉनिक ढंग से एकल भुगतान कर सकते हैं।

3. अब निर्बाध एकीकरण की व्यवस्था कर दी गई है, जिससे संबंधित स्थानीय शहरी निकाय अन्य संबंधित एजेंसियों से ऑनलाइन मंजूरियां हासिल कर सकेगा, जिससे मंजूरियां मिलने में लगने वाला समय काफी घट जाएगा। इसके अलावा विभिन्न एजेंसियों के यहां मानवीय संवाद की जरूरत नहीं रह जाएगी। एकल खिड़की मंजूरी के लिए एएआई, एनएमए, डीयूएसी, डीएमआरसी इत्यादि को एकीकृत कर दिया गया है। संबंधित केंद्रीय मंत्रालयों को जल्द ही एकीकृत किया जाएगा। ऐसा हो जाने पर आवेदकों को मंजूरी/ अनापत्ति प्रमाण पत्र पाने के लिए इन एजेंसियों के यहां अलग-अलग ढंग से संपर्क नहीं साधना पड़ेगा।

4. पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने अब मंजूरियों को एकीकृत करने पर अपनी सहमति जता दी है। इसके लिए 1,50,000 वर्ग मीटर तक के निर्मित (बिल्ट-अप) क्षेत्र के लिए पर्यावरण मंजूरी देने हेतु स्थानीय शहरी निकायों को सशक्त बनाने पर सहमति जताई गई है, जबकि मौजूदा नियम के तहत 20,000 वर्ग मीटर एवं इससे ज्यादा 1,50,000 वर्ग मीटर तक के निर्मित क्षेत्र के लिए संबंधित मंत्रालय के अधीनस्थ राज्य पर्यावरण आकलन प्राधिकरणों से पर्यावरण मंजूरी लेना आवश्यक था।

5. सरल योजना : 105 वर्ग मीटर तक के आकार वाले आवासीय भूखंडों हेतु भूखंड मालिकों को भवन निर्माण योजनाओं के लिए अब मंजूरी नहीं लेनी पड़ेगी। इसके लिए उन्हें निर्माण कार्य शुरू करने हेतु आवश्यक शुल्क अदा करने एवं अन्य दस्तावेजों को पेश करने के साथ-साथ निर्माण कार्य के लिए महज एक लिखित वचन देना होगा।

6. बाह्य एजेंसियों जैसे कि एएआई, एनएमए, दिल्ली अग्निमशमन सेवा, डीएमआरसी, पर्यावरण मंत्रालय इत्यादि द्वारा मंजूरी/ अनापत्ति प्रमाण पत्र 15 दिन के अंदर जारी कर दिए जाएंगे।

7. भवन निर्माण की इजाजत लेने के लिए प्रस्तुत किए जाने वाले दस्तावेजों की संख्या 40 से घटाकर महज 14 कर दी गई है।

8. पूर्णता-सह-कब्जा प्रमाण पत्र प्राप्त करने की प्रक्रिया सरल कर दी गई है। इस संबंध में पेश किए जाने वाले दस्तावेजों की संख्या 36 से घटाकर मात्र 9 कर दी गई है।

9. निर्माण कार्य शुरू करने के लिए अनुमति लेने की जरूरत अब खत्म कर दी गई है। इसके बदले में वे आवेदक अब केवल संबंधित स्थानीय निकाय को जानकारी देने के साथ ही निर्माण कार्य शुरू कर सकते हैं, जिन्होंने भवन निर्माण संबंधी इजाजत पहले ही ले ली है।

10. भवन निर्माण की अनुमति देने में लगने वाली अधिकतम समय-सीमा को 60 दिन से घटाकर महज 30 दिन कर दिया गया है, ताकि कारोबार करने में और ज्यादा सुगमता सुनिश्चित हो सके।

जलवायु परिवर्तन से जुड़ी चुनौती को ध्यान में रखते हुए ‘दिल्ली के लिए एकीकृत भवन निर्माण उप-नियम -2016’ का उद्देश्य हरित एवं टिकाऊ निर्माण कार्यों को बढ़ावा देना है। 105 वर्ग मीटर से ज्यादा आकार वाले भूखंडों पर बनने वाली सभी इमारतों को आवश्यक मंजूरियां पाने के लिए अनिवार्य हरित भवन निर्माण मानकों का पालन करना होगा। जल संरक्षण एवं प्रबंधन, सौर ऊर्जा के उपयोग, ऊर्जा दक्षता एवं प्रबंधन से जुड़े प्रावधान इनमें शामिल हैं। इन उपायों से दिल्ली को और टिकाऊ एवं पर्यावरण अनुकूल बनाने में मदद मिलेगी।

आम जनता द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले सभी भवनों एवं सुविधाओं जैसे कि शैक्षणिक, संस्थागत, वाणिज्यिक इमारतों, आवासीय समूह (ग्रुप हाउसिंग) इत्यादि में दिव्यांगों, बच्चों एवं बुजुर्गों के लिए सार्वभौमिक डिजाइन हेतु विशेष प्रावधान होगा।