नई दिल्ली, 30 मई | केवल 36 वर्ग किलोमीटर या यूं कहें कि दिल्ली के कुल छत विस्तार का महज 2.42 प्रतिशत इस्तेमाल कर करीब 2,500 मेगावाट बिजली सौर ऊर्जा से उत्पादित की जा सकती है। सौर ऊर्जा के रास्ते पर चल कर दिल्ली वायुमंडल में करीब 20 लाख टन कार्बन डाईआक्साइड कम कर सकती है और समग्र रूप से वायु की गुणवत्ता में भी सुधार ला सकती है। सेंटर फॉर एन्वॉयर्नमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) की ओर से जारी बयान के अनुसार, संस्था द्वारा दिल्ली में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने और सोलर रूफटॉप प्रोग्राम लागू कराने के लिए जारी ‘हेल्प दिल्ली ब्रीद कैंपेन’ की श्रृंखला में सोमवार को ई-रिक्शॉ यूनियन भी शामिल हो गया।
ठण्ड के दिनों में शाम के समय अक्षरधाम मंदिर के पास का आसमान। फोटो: बी भट्ट
बयान के अनुसार, करीब 700 ऑटो रिक्शॉ चालक पहले से ही इस अभियान में सक्रिय भागीदारी कर लोगों के बीच वायु प्रदूषण नियंत्रित करने में प्रभावी सौर ऊर्जा के प्रति जागरूकता फैला रहे हैं।
सीड के संचालन प्रमुख नवीन मिश्रा ने ई-रिक्शॉ चालकों के अभियान को हरी झंडी दिखाई। उन्होंने इस मौके पर कहा, “हम इस अभियान में ई-रिक्शॉ चालकों की भागीदारी का सहृदय स्वागत करते हैं। यह देखना वाकई सुखद है कि अपने ‘जीरो पॉल्युशन फुट प्रिंट’ के बावजूद ई-रिक्शॉ चालकों ने दिल्ली की हवा की गुणवत्ता में सुधार के लिए और लोगों को स्वच्छ ऊर्जा के प्रति लामबंद करने के लिए बड़ी जिम्मेदारी उठाई है।”
बयान के अनुसार, ‘सीड’ ने दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) सरकार से आग्रह किया है कि वह तत्काल सोलर रूफटॉप प्रोग्राम लागू करे। इससे सरकार का दोहरा उद्देश्य पूरा होगा। एक तो राजधानी दिल्ली स्वच्छ हवा में सांस लेने योग्य बन सकेगी और दूसरा, दिल्ली में पहले से संकुचित होते रोजगार क्षेत्र में नए अवसर सृजित होंगे।
Follow @JansamacharNews