नई दिल्ली, 30 नवम्बर । दिल्ली में जनवरी-नवंबर, 2023 के बीच यानी 11 महीने की अवधि के दौरान दैनिक औसत वायु गुणवत्ता (Air quality), पिछले 6 वर्षों की तुलना में सबसे बेहतर दर्ज की गई है ।
वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) का स्तर वर्षा, वर्षा की गति, हवा की दिशा और उसकी गति से काफी प्रभावित होता है, जो प्रदूषकों या कार्बन उत्सर्जन में फैलाव के लिए प्रमुख कारक हैं।
नवंबर, 2023 में पंजाब और हरियाणा में पराली में आग लगाने की घटना पिछले 3 वर्षों की तुलना में बहुत कम होने के बावजूद उपरोक्त अत्यधिक प्रतिकूल जलवायु और मौसम संबंधी परिस्थितियों ने दिल्ली-एनसीआर में पीएम 2.5 की बढ़ोतरी में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।
पंजाब और हरियाणा में धान की कटाई का अधिक काम इस साल दीपावली पर्व के आस-पास किया गया, जिससे दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण की स्थिति और अधिक गंभीर हो गई।
अच्छी वायु गुणवत्ता के लिए प्रदूषकों का प्रभावी प्रसार काफी जरूरी है। इसके साथ ही, क्षेत्र के सभी प्राथमिक स्रोतों से प्रदूषकों के उत्सर्जन की मात्रा को भी नियंत्रित करना भी आवश्यक है।
नवंबर, 2023 के दौरान दिल्ली के ऊपर और दिल्ली के बाहर हवा की औसत गति भी लंबी अवधि के लिए अपेक्षाकृत धीमी यानी औसतन केवल लगभग 4 किलोमीटर प्रति घंटे थी और संबंधित महीने के दौरान कई मौकों पर “स्थिर” स्थिति भी देखी गई।
प्रदूषकों के प्रभावी प्रसार के लिए कम से कम 10 किलोमीटर प्रति घंटे और उससे अधिक औसतन हवा की गति जरूरी है।
हालांकि, नवंबर के दौरान दिल्ली की ओर आने वाली कम गति वाली उत्तर-पश्चिमी हवाएं देखी गईं, जिससे ऐसे क्षेत्रों से प्रदूषकों के प्रवाह में बढ़ोतरी हुई।
लगातार बारिश के कारण पंजाब और हरियाणा के कई हिस्सों में धान की बुआई बाधित होने से इसमें देरी हुई, जिसके कारण ऐसे क्षेत्रों में फसल कटाई में भी देरी हुई। वहीं, नवंबर, 2023 के दौरान तापमान में अपेक्षाकृत कमी के कारण निरंतर “इन्वर्शन” हुआ, जिससे प्रदूषकों को फैलने की लिए जरूरी ऊंचाई में कमी हुई।
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