ऑनलाइन शिक्षा

दिल्ली सरकार के स्कूलों में सेमी ऑनलाइन शिक्षा के अनुभव

नई दिल्ली, 12 अगस्त। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने  कौटिल्य राजकीय एसकेवी, चिराग इन्क्लेव जाकर शिक्षकों और अभिभावकों के साथ संवाद किया। उन्होंने दिल्ली सरकार के स्कूलों में सेमी ऑनलाइन शिक्षा के अनुभवों पर फीडबैक लिया। अब तक श्री सिसोदिया सात जोन के स्कूलों में जाकर पेरेंट्स और टीचर्स से स्वयं फीडबैक ले चुके हैं.

सिसोदिया ने कहा कि हमारे पास आए डेटा के अनुसार यह प्रयोग अच्छा चल रहा है।  लेकिन मैं आपसे जमीनी हकीकत समझने आया हूँ। इस दौरान ग्रेटर कैलाश विधानसभा क्षेत्र के आप विधायक सौरभ भारद्वाज भी मौजूद थे।
उन्होंने कहा कि यह काफी मुश्किल दौर है। हम इस भ्रम में न रहें कि बच्चों का नुकसान नहीं हुआ है। हम यह प्रयास कर रहे हैं कि नुकसान कम से कम हो।
सिसोदिया ने कहा कि इस विद्यालय के 83 फीसदी बच्चे हमसे सेमी ऑनलाइन क्लासेस से जुड़ चुके हैं। लेकिन शेष 17 फीसदी बच्चों से अब तक संपर्क नहीं हो सका है।
सिसोदिया ने कहा कि हम सब दुआ करें कि स्कूल जल्द से जल्द खुलें। प्रार्थना में बहुत ताकत होती है। उन्होंने कहा कि स्कूल का कोई विकल्प नहीं है। स्कूल जाने से बच्चों का सर्वांगीण विकास होता है। इसलिए हम चाहते हैं कि स्कूल जल्द से जल्द खुले। जब तक स्कूल नहीं खुल रहे, तब तक ऑनलाइन को बेहतर करने का प्रयास है।
सिसोदिया ने कहा कि मैं भी एक पिता हूँ। मेरा बेटा भी एक कमरे और लैपटॉप में सिमट गया है। बाहर जाने और स्कूल में पढ़ने से जो लाभ होता है, उससे वंचित होना बड़ा नुकसान है।
सिसोदिया ने कोरोना संकट में ऑनलाइन शिक्षा की सफलता का श्रेय अभिभावकों और शिक्षकों को देते हुए कहा कि सरकार ने सिर्फ सुविधा बढ़ाई है, सारी मेहनत तो आपने की है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी मानव जाति का सबसे बड़ा संकट है। जब सारी चीजें बंद हैं, तब भी हमें बच्चों को पढ़ाना है।
 सिसोदिया ने कहा कि जिन बच्चों के पास ऑनलाइन साधन नहीं थे, उनके लिए सेमी ऑनलाइन व्यवस्था करते हुए स्कूल में मैटेरीयल दिया गया, फोन पर संपर्क किया गया।
सिसोदिया ने कहा कि कोरोना का वैक्सीन बन जाएगा, लेकिन शिक्षा में नुकसान की भरपाई किसी वैक्सीन से नहीं हो सकती। इसलिए हम अपने अन्य खर्च कम करके किसी भी तरह बच्चों की पढ़ाई जारी रखें। अगर पढ़ाई में नुकसान हुआ तो यह बच्चे या परिवार का नहीं, बल्कि पूरे देश का नुकसान होगा। हमारी समझदारी की पहचान यह है कि कितनी भी मुश्किल क्यों न हो, हम अपने बच्चों को जरूर पढ़ाएंगे
 सिसोदिया ने कहा कि ऑनलाइन का प्रयोग हमें बगैर योजना के अचानक करना पड़ा। बगैर योजना इतना अच्छा प्रयोग बड़ी सफलता है। इसमें पेरेंट्स का जुड़ना ब्लेसिंग इन डिसगाइस है।
सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों ने इस बार 98% रिजल्ट ला कर इतिहास कायम किया है। पांच साल पहले जब 84% से बढ़कर 88% रिजल्ट आया था, तब हमने 90% का टारगेट रखा था। आज रिजल्ट 98 प्रतिशत पहुंच गया। लेकिन हम इससे आत्ममुग्ध न हों, बल्कि और आगे बढ़ने की सोचें।
समीक्षा के दौरान अभिभावकों ने कहा कि बच्चे इस पढ़ाई को खूब इंजॉय कर रहे हैं। स्कूल के टीचर्स ने बच्चों पर काफी मेहनत की है तथा बच्चों को सीखने का अच्छा अवसर मिल रहा है। एक पेरेंट ने कहा कि ऑनलाइन शिक्षा ने पेरेंट्स को भी पढ़ाई से जोड़ा और हमें भी शिक्षा का मतलब समझ में आ रहा है। इसलिए स्कूल खुलने के बाद भी ऐसे प्रयोग जारी रखे जाएं। पेरेंट्स ने ऑनलाइन शिक्षा को काफी उपयोगी बताते हुए कहा कि शिक्षकों ने बच्चों का अच्छा मार्गदर्शन किया।
एक पेरेंट ने कहा कि लॉकडाउन के वक्त बच्चे चिड़चिड़े हो गए थे। लेकिन ऑनलाइन शिक्षा से उन्हें अच्छा अवसर मिला है। एक अभिभावक ने ऑनलाइन पीटीएम का भी सुझाव दिया। एक पेरेंट ने बताया कि  दो साल पहले उन्होंने अपने बच्चे को प्राइवेट स्कूल से निकालकर दिल्ली सरकार के स्कूल में नाम लिखाया था। इसका काफी अच्छा अनुभव रहा।
टीचर्स ने कहा कि अब तक हम सिर्फ बच्चों से जुड़ते थे, लेकिन अब पेरेंट्स से भी जुड़ने का अवसर मिल रहा है। यह बात पीटीएम में इतनी अच्छी नहीं हो पाती।
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