नई दिल्ली, 19 मई | भारत में दिल के दौरे से हर 33 सेकेंड में एक व्यक्ति की मौत होती है। शहर के एक शीर्ष हृदय रोग विशेषज्ञ का यह कहना है। उन्होंने बताया कि भारत में इस रोग से पश्चिम के मुकाबले 10 साल पहले लोगों की मौत हो जाती है।
सर गंगाराम हॉस्पिटल के वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. अश्विनी मेहता का कहना है, “भारत में वर्तमान में हर साल करीब 20 लाख दिल के दौरे के मामले सामने आते हैं और इनमें से ज्यादातर युवा ही इसके शिकार होते हैं।”
उन्होंने यह बातें यहां मंगलवार को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित ‘हृदय रोग के साथ जीवन : स्टेंट और इलाज के बारे में जानकारी’ विषय पर लोगों को संबोधित करते हुए कही।
मेहता ने कहा, “शहर में रहनेवाले पुरुषों को गांव में रहनेवालों के मुकाबले दिल के दौरे की संभावना तीन गुणा अधिक होती है। वहीं, महिलाओं में मीनूपाज के बाद इसका खतरा बढ़ जाता है।”
दिल के दौरे का मुख्य कारण एलडीएल-सी (लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल) है। इसके अलावा धूम्रपान, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, आनुवांशिक इतिहास, जीवनशैली, कार्बोहाइड्रेट से भरपूर भोजन और शारीरिक व्यायाम की कमी से भी दिल का दौरा हो सकता है।
मेहता का कहना कि अक्सर मरीज छाती में दर्द की एसिडिटी या पाचन संबंधी गड़बड़ी समझ कर अनदेखी कर देते हैं, जो कि गलत है।
मेहता ने कहा, “अगर चलने-फिरने के बाद किसी प्रकार की असुविधा महसूस हो रही हो। खासकर अगर आराम करने के बाद भी यह बना रहता है तो यह दिल की बीमारी हो सकती है और इसे बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। इस पर तुरंत ध्यान दिए जाने की जरूरत है।”
उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन की नवीनतम रिपोर्ट के हवाले से कहा कि दुनिया में सबसे ज्यादा दिल के दौरे के मामले भारत में ही सामने आते हैं। मेहता ने कहा कि समय पर इलाज के बाद हृदय रोग को रोका जा सकता है।
मेहता ने कहा, “स्वास्थ्यवर्धक भोजन और ताजे फलों और सब्जियों के सेवन, रोजाना कसरत और तनावरहित जीवन से हृदय रोग को रोका जा सकता है।”
मेहता कहते हैं, “जीवनशैली में बदलाव जैसे तनाव घटाकर, नियमित चेकअप (खासकर लिपिड प्रोफाइल) और दवाइयों का प्रयोग बेहद महत्वपूर्ण है।”
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