इलाहाबाद, 14 मार्च (जनसमा)। “भारत में न्यायपालिका ने आजादी के समय से ही देश के लोकतांत्रिक ढांचे को मजबूत बनाने और इसे बरकरार रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारत के संविधान में उच्च न्यायालयों की अद्वितीय जगह है। ये केवल लोगों के अधिकारों और आजादी के ही अभिभावक नहीं हैं बल्कि इन पर आर्थिक और अन्य किसी वजह से न्याय से वंचित हर नागरिक तक न्याय पहुंचाने की महती जिम्मेदारी है। उच्च न्यायालयों को यह सुनिश्चित करना है कि इन कारणों से देश का कोई नागरिक न्याय से वंचित न रह जाए।”
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधिकरण के 150 वर्ष पूरे होने के मौके पर रविवार को आयोजित समारोह में मौजूद विशिष्ट जजों, गणमान्य न्यायविदों, बार सदस्यों और अन्य विशिष्ट लोगों से कही।
मुखर्जी ने कहा कि न्याय में देरी करना न्याय से वंचित करना है। मुझे पूरा विश्वास है केंद्र सरकार और राज्य सरकार लंबित मामलों का बोझ कम करने में इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा की जा रही कोशिशों में पूरी मदद करेगी।
उन्होंने कहा कि यह उच्च न्यायालय 150 साल पहले अस्तित्व में आया था। 17 मार्च, 2016 को इसने अपनी स्थापना के 150 साल पूरे कर लिए। इस समारोह को मनाने के दोहरे उद्देश्य हैं। यह न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया के सबसे बड़े न्याय मंदिरों में से एक है।
मुखर्जी ने कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट का न्याय क्षेत्र भारत में सबसे बड़ा है। इसके दायरे में भारत की आबादी का छठवां हिस्सा आता है। छह जजों से काम शुरू करने वाले इस हाई कोर्ट में अब 160 जजों की क्षमता है। इस तरह यह इसे भारत का सबसे बड़ा कोर्ट बनाता है। 1866 में यहां के बार में 6 वकील थे। हाई कोर्ट के रजिस्टरी के मुताबिक आज यह संख्या 15000 तक पहुंच चुकी है। इस कोर्ट से निकले समृद्ध न्यायशास्त्र ने न सिर्फ उत्तर प्रदेश बल्कि पूरे देश के लोगों को लाभ पहुंचाया है।
उन्होंने कहा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट के पांच जज भारत के मुख्य न्यायाधीश के पद की शोभा बढ़ा चुके हैं। इनके नाम हैं सर्वश्री- के.एन. वांचू, मिर्जा हमीदुल्ला बेग, रघुनंदन स्वरूप पाठक, कमल नारायण सिंह, विश्वेश्वरनाथ खरे। मुझे यह जानकार बेहद खुशी है के मेरे विशिष्ट पूर्ववर्तियों में से एक डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने 1954 में हाई कोर्ट की एक नई विंग खोली थे। राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने इस उच्च न्यायालय के सौ साल पूरे होने पर आयोजित समारोह में हिस्सा लिया था। राष्ट्रपति आर. वेंकटरमण ने इस उच्च न्यायालय के 125 वर्ष पूरे होने के मौके पर आयोजित समारोह में हिस्सा लिया था।
राष्ट्रपति ने कहा कि लोगों का न्यायपालिका में जो विश्वास है और सम्मान है, उसे बरकरार रखा जाना चाहिए। लोगों को न्याय देने का मतलब यह है कि यह उन तक पहुंचे। उन्हें सस्ता और त्वरित न्याय मिले। हालांकि भारतीय न्यायपालिका की कई शक्तियां हैं लेकिन अभी भी इसे लोगों को त्वरित और सस्ते न्याय की आकांक्षा को पूरा करना है।
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