देश की ऊर्जा जरूरत पूरी कर सकता है अरुणाचल : कालिखो पुल

नई दिल्ली, 20  जून | अरुणाचल प्रदेश में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की ऊर्जा कंपनियों को करीब 140 जल विद्युत परियोजनाएं आवंटित की गई हैं। प्रदेश के नव नियुक्त मुख्यमंत्री कालीखो पुल का कहना है कि यदि पूर्वोत्तर के इस सीमावर्ती राज्य की सभी आवंटित ऊर्जा परियोजनाएं समय पर पूरी हो जाती हैं तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विद्युतीकृत भारत का सपना साकार हो जाएगा।

पुल ने आईएएनएस के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि अरुणाचल प्रदेश में पूरे देश की ऊर्जा जरूरत को पूरी करने की क्षमता है।

उन्होंने कहा कि मंजूरी को लेकर विभिन्न मंत्रालयों में ‘मतभेद’ के कारण विगत कुछ वर्षो में ऊर्जा परियोजनाओं का काम या तो रुक गया है या धीमा हो गया है।

46 वर्षीय पुल गत फरवरी माह में 12.5 लाख की आबादी वाले इस छोटे राज्य के मुखिया बने। उन्होंने कहा कि वह महसूस करते हैं कि अरुणाचल प्रदेश की जल विद्युत परियोजनाओं में भाग लेने वाली कंपनियों को मंजूरी देने के लिए केंद्र सरकार को एकल खिड़की प्रणाली स्थापित करनी चाहिए।

इसके अतिरिक्त उन्होंने परियोजनाओं से जुड़ीं निजी कंपनियों के लिए ऋण भुगतान की अवधि 10 वर्ष से बढ़ाकर 25-30 वर्ष करने की वकालत की। 

पुल ने कहा, “जल विद्युत परियोजनाएं बनकर तैयार होने और शुरू होने में समय लेती हैं। इसलिए ऋ ण भुगतान के लिए 25 से 30 साल का समय मिलना चाहिए। इतना समय मिलने पर ही वे (निजी कंपनियां) अपना काम करने में सक्षम होंगी।”

केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय के अनुसार अरुणाचल प्रदेश को करीब 140 जल विद्युत परियोजनाएं आवंटित की गई हैं जिनकी उत्पादन क्षमता 41,500 मेगावाट है। ये परियोजनाएं विभिन्न नदियों, छोटी नदियों और सात बड़ी नदी घाटियों में नालों पर होंगी।

वन विभाग या नदी बोर्ड से मंजूरी मिलने में देरी के कारण अधिकांश परियोजनाओं के काम शुरू होने में देर हुई है। अगर ये परियोजनाएं समय पर पूरी हो जाती हैं तो देश के अधिकांश भागों में इनसे ऊर्जा की आपूर्ति होती जो विद्युत उत्पादन के अन्य स्रोतों जैसे ताप विद्युत और सौर ऊर्जा का अभी तक ठीक से दोहन नहीं कर सका है।

पुल ने कहा कि विशाल जल विद्युत परियोजनाओं से पहले 1000-2000 मेगावाट उत्पादन क्षमता वाली परियोजनाएं शुरू करनी चाहिए। इससे लोगों को यह समझने में मदद मिलेगी कि कैसे विद्युत परियोजनाएं उनकी जिंदगी बदल सकती हैं और फिर इनसे बड़ी परियोजनाओं के लिए मार्ग प्रशस्त होगा।

ब्रह्मपुत्र नदी की एक सहायक नदी सियांग पर एक विशाल बांध का निर्माण हो रहा है। निर्माण कार्य पूरा होने पर बांध जलाशय में दस अरब क्यूबिक मीटर पानी जमा होगा। सियांग जल विद्युत परियोजना की उत्पादन क्षमता 10,000 से 12000 मेगावाट के बीच होगी। भारतीय उप महाद्वीप में यह सबसे बड़ा जलविद्युत बांध बनाया जा रहा है।

चीन द्वारा कुशलतापूर्वक जलविद्युत परियोजनाओं के उपयोग का उल्लेख करते हुए पुल ने कहा कि परियोजनाओंकी मंजूरी के मार्ग में विभिन्न तरह की बाधाएं दूर होनी चाहिए।

विदेशों में ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना में भारत की भूमिका पर नाखुशी जाहिर करते हुए पुल ने कहा, “ऐसे कई उदाहरण हैं कि भारत सरकार ने विदेशों में ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित की हैं, लेकिन भारतीय राज्यों में नहीं। यही वजह है कि उन देशों में समृद्धि बढ़ रही है, हम लोगों की नहीं। यह हम लोगों के लिए शर्म की बात है।”

–आईएएनएस

 

— रूपेश दत्ता