नई दिल्ली, 3 मार्च (जनसमा)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लोकसभा में धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुए गुरूवार को कहा ‘‘भारत जैसे देश को अफसरशाही के भरोसे नहीं छोड़ सकते। हमें 125 करोड़ देशवासियों पर भरोसा करना होगा, उन पर विश्वास करना होगा।’’ इस देश का नागरिका हमसे बहुत नहीं मांग रहा है, वह हमारे साथ चलने को तैयार है। हमने उस दिशा में कुछ प्रयास किए हैं।कारोबार करने वालों से 2 करोड़ रुपए तक हम कुछ नहीं पूछेंगे। आप जो चाहो दे दो हम ले लेंगे। विश्वास बनाने का महौल बना है।
मोदी ने कहा “इस सरकार में भी सुधार आने चाहिए। आपकी मदद के बिना नहीं आएंगे। आपकी मदद चाहिए मुझे। आप लोगों का साथ चाहिए, आप लोगों के अनुभव का लाभ चाहिए। मैं नया हूं, आप अनुभवी लोग हैं। आइए कंधे से कंधा मिलाकर चलें और कुछ अच्छा काम करके देश को देकर जाएं। सरकारें आएंगी, जाएंगी, लोग आंएगे जाएंगे, ये देश अजर अमर है, यह देश रहने वाला है। देश की पूर्ति के लिए हम लोग काम करें। इसी अपेक्षा के साथ राष्ट्रपति को आदरपूर्वक अभिनंदन!
प्रधानमंत्री ने अनेक बार कांग्रेस के 60 साल की चर्चा करते हुए कहा कि यहां पर कोई भी बात हम करते हैं तो कहा जाता है कि हमारी देन है, तो मैं कहता हूं कि आप ही की देन है। प्रधानमंत्री ने परिहास में कहा ‘‘हमने स्कूलों में शौचालय बनाने का अभियान चलाया, तो सच है कि आपने बनवा दिए होते तो मोदी जी क्या करते। इसलिए यह आप ही की देन। अब बांग्लादेश से सटी सीमा की बात ही ले लीजिए। सालों हो गए लेकिन सीमा विवाद नहीं सुलझाया जा सका। आपने नहीं सुलझाया, यह आप ही की देन है।
उन्होंने कहा कि गांवों तक बिजली नहीं पहुंची। 18 हजार गांव अभी तक अंधेरे में डूबे हुए थे। हमने उनमें बिजली पहुंचाई। तो आप कह सकते हैं कि आप ही की देन है। मोदी ने परिहास में कहा, ‘‘यह सब आपके 60 साल के कारोबार का परिणाम है, कोई इंकार नहीं कर सकता।’’
प्रधानमंत्री ने मनरेगा की चर्चा करते हुए 1972 से अब तक गरीबों के लिए चलाई गईं विभिन्न योजनाओं की चर्चा की और कहा कि इतने साल तक योजनाओं के चलने के बाद भी देश से गरीबी नहीं हटी। जो योजनाएं चलाई गईं, उससे गरीबों का कोई भला नहीं हुआ। तो आप सीना तान के कह सकते हैं कि हमने गरीबी की जड़ें इतनी गहरी जमा दी हैं कि मोदी तुम उखड़ जाओगे लेकिन गरीबी नहीं उखड़ेगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 60 साल में अगर गरीबों की भलाई हो जाती तो आज उसे मिट्टी नहीं उठानी पड़ती। अब हमने यह दायित्व उठाया है, गरीबी को दूर करने का और हम इस प्रयास में लगे हुए हैं।
उन्होंने कहा कि पिछले सालों में मनरेगा के तहत 100 दिन का लक्ष्य कभी पूरा नहीं हुआ, केवल 30-40 दिन काम होता और गाड़ी अटक जाती थी क्योंकि बिचैलिये थे जिन्हें हमने समाप्त किया। आॅडिट की व्यवस्था की और 94 प्रतिशत श्रमिकों के बैंक खातों में सीधा पैसा जमा हो रहा है।
उन्होंने कहा कि संसद एक ऐसा मंच है, जहां सरकार से प्रश्न पूछे जाते हैं और सरकार विभिन्न मुद्दों पर अपना रुख स्पष्ट करती है।
टी.वी. फोटो
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