नई दिल्ली, 9 फरवरी (जनसमा)। देश में पचास फीसदी ग्रामीण आबादी के पास अब भी शौचालय नहीं है, हालांकि 2 अक्टूबर, 2014 से स्वच्छ भारत मिशन के शुरुआत के बाद से लगभग 1.50 करोड़ से भी ज्यादा शौचालयों का निर्माण किया जा चुका है।
केन्द्र सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन के लिए बैंकों और सूक्ष्म वित्त संस्थानों से बड़े पैमाने पर कर्ज वितरण के लिए आगे आने को कहा है।
सरकार देश को खुले में शौच की समस्या से 2019 तक मुक्ति दिलाना चाहती है। सरकार वर्ष 2019 तक स्वच्छ भारत मिशन के लक्ष्य को पाने हेतु आज बैंकों और सूक्ष्म वित्त संस्थानों से बड़े पैमाने पर कर्ज वितरण के लिए आगे आने को कहा।
‘स्वच्छ भारत के लिए अभिनव वित्त पोषण’ पर यहां आयोजित एक सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए केन्द्रीय ग्रामीण विकास, पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री बीरेन्द्र सिंह ने कहा कि बीपीएल परिवारों के लिए शौचालय निर्माण हेतु 12 हजार रुपये का प्रोत्साहन दिया जा रहा है, लेकिन सार्वभौमिक कवरेज प्राप्त करने के लिए बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों द्वारा आसान वित्त पोषण किये जाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि वित्त मंत्रालय ने वाणिज्यिक बैंकों द्वारा प्राथमिकता क्षेत्र को कर्ज उपलब्ध कराये जाने के लिए जल एवं स्वच्छता को नये क्षेत्रों के रूप में शामिल किया है, लेकिन यह व्यापक नीतिगत बदलाव केवल इरादे के रूप में नहीं, बल्कि मूर्त रूप में भी नजर आना चाहिए।
मंत्री ने विशेष जोर देते हुए कहा कि स्वच्छता का गहरा नाता खराब स्वास्थ्य, शिक्षा की निम्न स्तरीय स्थिति, कुपोषण और गरीबी से है।
इसके साथ ही मंत्री ने यह जानकारी दी कि उन्होंने स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) के एक अवयव के रूप में ठोस एवं तरल कचरा प्रबंधन का उल्लेख करते हुए कहा कि एसबीएम में छोटे एवं मझोले निजी क्षेत्र संस्थानों के लिए काफी गुंजाइश है जिससे वे कचरा प्रबंधन के साथ-साथ गांव पर्यावरण प्रबंधन के बुनियादी ढांचे में सुधार के कार्य में खुद को शामिल कर सकते हैं।
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