नई दिल्ली, 1 मई | माल-ढुलाई (लॉजिस्टिक्स) पर होने वाले खर्च को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के वर्तमान 14 फीसदी से नौ फीसदी पर लाने से देश में 50 अरब डॉलर तक की बचत की जा सकती है। यह बात उद्योग संघ एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया (एसोचैम) और रिसर्जेट इंडिया द्वारा संयुक्त तौर पर रविवार को जारी एक अध्ययन में कही गई है। एसोचैम ने यहां जारी एक बयान में कहा, “भारत में यदि माल-ढुलाई पर होने वाले खर्च को जीडीपी के 14 फीसदी से घटाकर नौ फीसदी तक लाया जाए, तो 50 अरब डॉलर तक की बचत की जा सकती है। इससे वैश्विक बाजार में घरेलू उत्पाद अधिक प्रतिस्पर्धी बन जाएगा।”
‘भारत में कार्गो एंड लॉजिस्टिक्स उद्योग’ अध्ययन रपट में कहा गया है, “घरेलू विनिर्माण पर सरकार के जोर के कारण निवेश में होने वाली संभावित वृद्धि से देश का कार्गो और लॉजिस्टिक्स उद्योग अगले कुछ साल तक करीब 16 फीसदी चक्रवृद्धि दर से बढ़ सकता है।”
एसोचैम के महासचिव डी.एस. रावत ने बयान में कहा है, “नीतियों में समुचित बदलाव और क्षमता बढ़ाने के साथ रेल, सड़क, जल मार्ग तथा अन्य साधनों से वस्तुओं और सेवाओं के परिवहन की रफ्तार बढ़ाना देश में माल-ढुलाई उद्योग के विकास के लिए आवश्यक है।”
रपट में कहा गया है कि मेक इन इंडिया अभियान से देश में निवेश बढ़ेगा और भारत वैश्विक उत्पादन नेटवर्क से जुड़ेगा, जिससे माल-ढुलाई में नए कारोबार पैदा होंगे और भारत कारोबार के लिए एक आकर्षक स्थान बनेगा।
रपट में यह भी कहा गया है कि सरकार को कर संरचना में समानता लानी चाहिए और जगह-जगह बने चेक नाके हटाने चाहिए तथा दस्तावेजीकरण की अनिवार्यता समाप्त करनी चाहिए। इससे माल-ढुलाई की गति बढ़ेगी।
रपट में यह भी कहा गया है कि देश में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने से माल-ढुलाई खर्च में 15 फीसदी तक गिरावट दर्ज की जा सकती है।(आईएएनएस)
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