देहरादून, 29 जनवरी। उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने शुक्रवार को बीजापुर हाउस में प्रेसवार्ता करते हुए कहा कि भारत सरकार द्वारा जिन 20 शहरों का चयन स्मार्ट सिटी के लिए किया गया है उनमें किसी भी शहर का प्रस्ताव ग्रीन फील्ड आधारित नहीं था। उन्होंने कहा कि वे इसमें किसी तरह की राजनीति नहीं देखते हैं और उन्हें अभी भी विश्वास है कि आगे देहरादून को अवश्य अवसर मिलेगा। ग्रीन फील्ड आधारित प्रस्तावों के केंद्र स्तर पर मूल्यांकन में सम्भवतः अधिक समय लगता इसलिए केंद्र सरकार ने इस तरह के किसी भी प्रस्ताव को पहले 20 स्मार्ट सिटी में शामिल नहीं किया गया है।
मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि अनेक लोग इस पर भी प्रश्न कर रहे हैं कि देहरादून के लिए ग्रीन फील्ड आधार ही क्यों लिया गया रेट्रोफिटिंग या रिडेवलपमेंट आधार क्यों नहीं लिया गया। रेट्रोफिटिंग में मुख्यतः पेयजल आपूर्ति सीवरेज को लिया जाता जबकि हम पहले ही देहरादून में इस पर भारी निवेश कर चुके हैं और इन कार्यों पर काम चल रहा है। रिडेवलपमेंट में शर्त यह थी कि जिस भी क्षेत्र में रिडेवलपमेंट किया जाता वहां दुबारा पुनर्निर्माण करना पड़ता। ऐसा देहरादून में किया जाना व्यावहारिक रूप से सम्भव नहीं था। इसके लिए नगर निगम से अनुमति जरूरी होती। नगर निगम के लिए भी ऐसा किया जाना सम्भव नहीं था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें अब भी उम्मीद है कि आगे देहरादून को स्मार्ट सिटी के लिए चयनित किया जाएगा। यदि ऐसा किया जाता है तो हम चयनित क्षेत्र में ग्रीन कवर को बनाए रखेंगे। जल स्तर को सुधारने के लिए योजना बनाई गई है। स्मार्ट सिटी से जो भी आय होगी उसका 50 प्रतिशत हिस्सा पुराने देहरादून के विकास पर व्यय किया जाएगा और 50 प्रतिशत हिस्सा उत्तराखण्ड के अन्य भागों विशेषतः पर्वतीय क्षेत्रों में स्मार्ट टाउन विकसित करने पर किया जाएगा।
मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि प्रदेश की साईलेंट मेजोरिटी विकास चाहती है और सरकार इस भावना का सम्मान करते हुए प्रदेश के विकास के लिए काम करती रहेगी।
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