उज्जैन, 13 मई | ईशा फाउंडेशन के प्रमुख और आध्यात्मिक गुरु सदगुरु जग्गी वासुदेव ने कहा कि पृथ्वी पर उपलब्ध संसाधनों का बंटवारा जनसंख्या वृद्धि के कारण दिन-प्रतिदिन मुश्किल होता जाएगा। इसके लिए सबसे अच्छा समाधान यह होगा कि पृथ्वी के 30 प्रतिशत क्षेत्र को मनुष्यों के लिए प्रतिबंधित कर दिया जाए। मध्य प्रदेश के उज्जैन में सिंहस्थ कुंभ के दौरान निनौरा में चल रहे अंतर्राष्ट्रीय विचार महाकुंभ के दूसरे दिन शुक्रवार को सतत विकास और जलवायु परिवर्तन विषय पर विशेष सत्र में उन्होंने कहा कि प्रकृति में स्वयं को सुधारने की अद्भुत क्षमता है। यदि मानव का हस्तक्षेप कम हो जाए, तो उसके लिए संसाधनों की भी कमी नहीं होगी।
सदगुरु ने जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिग से उपजी समस्याओं को समझाते हुए कहा कि मानव स्वयं पांच तत्व से बना है। शरीर में इन तत्वों के असंतुलन का प्रभाव धीरे-धीरे पर्यावरण पर पड़ने लगता है। इन पांच तत्वों का समन्वय ही जादुई प्रभाव उत्पन्न कर सकता है।
उन्होंने कहा कि मानवीय आकांक्षाओं को बलपूर्वक नहीं बदला जा सकता लेकिन सकारात्मक उद्देश्यों के लिए परिवर्तित किया जा सकता है। सदगुरु ने कहा कि स्थायी समाधान के लिए मानव समाज को व्यक्तिगत चेतना को विशाल चेतना में मिलने का मार्ग दिखाना होगा। उन्होंने कहा कि पारिस्थितिकीय और पर्यावरणीय मुद्दों को हल करने के लिए अब किसी व्यवस्था और मशीन की जरूरत नहीं बल्कि आध्यात्मिक ज्ञान और उसके प्रयोग की जरूरत है।
सद्गुरु ने कहा कि भारत की भूमि में इतनी क्षमता है कि वह कई देशों को अन्न दे सकती है। उन्होंने मध्यप्रदेश का उदाहरण देते हुए कहा कि यहां खेती लगातार आगे बढ़ रही है और निरंतर उच्च वृद्धि दर बनी हुई है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सदगुरु का स्वागत किया। सदगुरु ने जलवायु परिवर्तन विषय पर पूछे गए सवालों के सिलसिलेवार जवाब दिए।
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