नई दिल्ली, 8 फरवरी (जनसमा)। नदियों को आपस में जोड़ने संबंधी विशेष समिति की आठवीं बैठक सम्पन्न होगई। यह काम देश में पानी की मात्रा बढ़ाने और खाद्य सुरक्षा को मजबूत करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इससे पानी की कमी, सूखे की बहुलता और वर्षा पर निर्भर कृषि क्षेत्रों में पानी पहुंचाने में बहुत मदद मिलेगी।
यह विचार केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती ने सोमवार को नई दिल्ली में आयोजित नदियों को आपस में जोड़ने के लिए गठित विशेष समिति की आठवीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए व्यक्त किये।
उन्होंने कहा कि भारत सरकार आम सहमति और संबंधित राज्य सरकारों के सहयोग और आम राय के साथ नदियों को आपस में जोड़ने के कार्यक्रम के कार्यान्वयन के प्रति प्रतिबद्ध है।
3 फरवरी, 2016 को महानदी-गोदावरी लिंक परियोजना के संबंध में भुवनेश्वर में ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के साथ अपनी मुलाकात का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह तय हुआ था कि केंद्र और राज्य सरकार की ओर से अधिकारियों का एक दल इस सम्पर्क के सिलसिले में सभी समस्याओं पर बातचीत करेगा और छह महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगा।
सुश्री भारती ने कहा, ‘इस रिपोर्ट को प्रस्तुत करने के बाद, मैं महानदी-गोदावरी लिंक परियोजना को अंतिम रूप देने के लिए ओडिशा के मुख्यमंत्री के साथ एक और बैठक करूंगी, मुझे पूरी उम्मीद है कि इस सिलसिले में ओडिशा सरकार से सकारात्मक जवाब मिलेगा’।
सुश्री उमा भारती ने कहा कि केन-बेतवा लिंक परियोजना को बेहतर बनाने के लिए इसके पहले चरण को लेकर सभी कार्यक्रम प्रक्रिया के उन्नत चरण में पहुंच गये हैं।
उन्होंने कहा कि मुझे यह जानकारी देते हुए खुशी हो रही है कि लिंक परियोजना को मध्यप्रदेश के राज्य वन्यजीव बोर्ड ने 22 सितंबर 2015 को अपनी सिफारिश दी थी। इसके बाद राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड ने इस प्रस्ताव को अपने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के वन्य जीवन निस्तारण संबंधी अड़चनें दूर करते हुए परियोजना को हरी झंडी दे दी।
सुश्री भारती ने कहा कि उन्होंने इस संबंध में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री से बातचीत की है और उन्हें शीघ्र ही जरूरी सकारात्मक जवाब मिलने की बहुत उम्मीद है।
पार-तापी-नर्मदा लिंक परियोजना का जिक्र करते हुए सुश्री भारती ने बैठक को जानकारी दी कि इस परियोजना की विस्तृत रिपोर्ट गुजरात और महाराष्ट्र की सरकार ने अगस्त, 2015 को प्रस्तुत कर दी थी और उनकी टिप्पणियों और विचारों की प्रतीक्षा की जा रही है। उन्होंने कहा कि दमनगंगा-पिंजाल और पार-तापी-नर्मदा लिंक परियोजनाओं के सिलसिले में गुजरात और महाराष्ट्र के बीच जल बंटवारे के मुद्दे को प्राथमिकता के आधार पर स्वीकार किया गया है।
महाराष्ट्र और गुजरात के मुख्यमंत्रियों ने प्रस्तावित लिंक परियोजना के तहत जल बंटवारे से संबंधित सभी मुद्दों को हल करने की इच्छा व्यक्त की है।
सुश्री उमा भारती ने कहा कि इस संबंध में फैसला किया गया है कि राज्यों और केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के अधिकारी बैठक करके सभी लंबित मुद्दों को सुलझाएंगे।
सुश्री भारती ने कहा कि इसके बाद मैं इस मुद्दे पर दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक करूंगी। मुझे उम्मीद है कि हम जल बंटवारे के समझौते पर पहुंच जाएंगे। इस तरह दोनों राज्यों के सहयोग से दोनों परियोजनाओं को समय पर पूरा किया जा सकेगा।
मंत्री ने कहा कि मंत्रालय द्वारा गठित नदियों को आपस में जोड़ने के काम के लिए एक टास्क फोर्स बनाई गई है, जो सभी जरूरी मुद्दों का विस्तृत अध्ययन करने के बाद लिंक परियोजना पर राज्यों के बीच शीघ्र आम राय बनाएगी।
विशेष समिति की 05 नवंबर, 2015 को बैठक हुई थी। विशेष समिति की तीन उप समितियां नियमित आधार पर भी बैठकें करती हैं और आमराय से समूचे कामकाज को निपटा रही हैं। संबंधित राज्य सरकारों के सभी सदस्यों का सहयोग और समर्थन इस कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन के लिए बहुत जरूरी है। नदियों को आपस में जोड़ने का काम सिर्फ सरकार का ही सपना नहीं है, बल्कि यह अब वास्तविक शक्ल ले रहा है।
कुछ राज्यों के प्रतिनिधियों ने अतिरिक्त जल जैसी बातें फिर से परिभाषित करने का मुद्दा उठाया है।
इसका उत्तर देते हुए सुश्री भारती ने कहा कि राष्ट्रीय जल विकास निगम द्वारा गठित कार्यबल की उप समिति ने सभी समस्याओं की पहचान की है और दो महीने के भीतर वह अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत सौंपेगी।
उन्होंने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण बात व्यापक आमराय बनाने की होती है। इस बैठक में दूसरे राज्यों के अलावा महाराष्ट्र, झारखंड और राजस्थान और जल संसाधन मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया।
नदियों को आपस में जोड़ने के कार्यक्रम का राष्ट्रीय महत्व है और सरकार ने इसे उच्च प्राथमिकता दे रखी है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य सूखा प्रभावित और वर्षा वाले क्षेत्रों की नदियों को आपस में जोड़कर जल की उपलब्धता बढ़ाने से जल वितरण में व्यापक बराबरी सुनिश्चित करना है। मंत्रालय ने पहले ही हिमालय की नदियों और प्रायद्वीप में मौजूद अन्य नदियों में सर्वेक्षण के जरिये और दूसरे अध्ययनों में 16 जल सम्पर्क के जरिये 14 सम्पर्क की पहले ही पहचान कर ली है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल की 24 जुलाई, 2014 को हुई बैठक में नदियों को आपस में जोड़ने संबंधी विशेष समिति के गठन को मंजूरी दी गई। इस तरह नदियों को आपस में जोड़ने संबंधी विशेष समिति गठित हुई थी। यह 23 सितम्बर, 2014 के आदेश के तहत गठित की गई थी।
इसकी पहली बैठक 17 अक्टूबर, 2014 को आयोजित की गई थी। समिति सभी हितधारकों की राय पर विचार करने के बाद संदर्भो के तहत नदियों को आपस में जोड़ने के लक्ष्य को तेज कर रही है। वैकल्पिक योजनाओं के विकास के साथ आम सहमति पैदा करने की कोशिशें की गई हैं। इसके अलावा परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिए रास्ता भी तैयार किया गया है।
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