लखनऊ, 01 जनवरी। अंग्रेजी नव वर्ष 2016 जहां लोगों के लिए खुशियां व उमंग लेकर आया वहीं कुछ रंगरूटों के लिए अभिशाप साबित हुआ है। राजधानी लखनऊ में नववर्ष के जश्न के दौरान घायल होकर अस्पताल की इमर्जेन्सी में लगभग एक हजार मरीज पहुँचे। अस्पताल पहुँचने वाले इन मरीजों में अधिकांश युवा हैं।
फोटोः लखनऊ का किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू)
शहर के सरकारी अस्पतालों की बात करें तो सबसे अधिक इमर्जेन्सी केस किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के ट्रामा सेन्टर में पहुँचे। यहां गुरूवार की रात को मरीज पहुँचे जिनमें से अधिकतर न्यूरो के मरीज थे। इसके बाद अस्पताल की इमर्जेन्सी में पहुँचने वाले मरीजों के आंकड़ों पर नजर डालें तो ट्रामा सेन्टर के बाद सबसे अधिक मरीज लोहिया संयुक्त चिकित्सालय, इसके बाद सिविल और सिविल के बाद बलरामपुर अस्पताल मरीजों का ठिकाना बना।
लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के न्यूरो विशेषज्ञ डा. भुवन चन्द्र तिवारी ने बताया कि सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्ति को तत्काल अस्पताल पहुँचाना बेहद जरूरी होता है। अन्यथा न्यूरो के केस में याददाश्त खोने की संभावना बढ़ जाती है।
31 दिसम्बर 2015 की रात को अस्पताल पहुँचने वाले मरीज
क्र. अस्पताल का नाम मरीजों की संख्या
1. ट्रामा सेन्टर 300
2. लोहिया अस्पताल 200
3. सिविल अस्पताल 100
4. बलरामपुर अस्पताल 96
5. भाऊराव देवरस अस्पताल 50
6. लोकबन्धु अस्पताल 40
7. रानी लक्ष्मीबाई अस्पताल 45
रातभर सड़कों पर फर्राटा भरते रहे बाइकर्स गैंग, मूकदर्शक रही पुलिस
नये वर्ष के जश्न में गुरूवार की रात भर बाईकर्स गैंस शहर की सड़कों पर फर्राटा भरते रहे। हर चौराहे पर पुलिस तो मौजूद थी लेकिन पुलिस ने किसी को टोकने की जहमत नहीं उठायी। गुरूवार रात का नजारा देखकर ऐसा लगता था कि इस समय सड़क पर चलने का साहस करना मौत को दावत देना था। प्रत्येक मोटर साईकिल पर तीन-तीन लड़के सवार होते थे। इसके अलावा खुली गाडि़यों में लटके युवाओं का काफिला सड़कों पर फर्राटा भर रहा था।
स्मोकिंग व बियर के साथ सेल्फी लेने का युवाओं में दिखा क्रेज
गुरूवार की रात को सड़कों का नजारा देखकर यह लगता था कि यह तहजीब का शहर लखनऊ है या फिर मुंबई की सड़कें। सड़कों के हर चौराहे पर युवाओं की टोलियां सिगरेट के कश लेते व बियर की बोतलों के साथ सेल्फी खींचते देखे गये। जबकि चिकित्सकों के मुताबिक शराब के साथ धूम्रपान बहुत ही खतरनाक है। इसके बावजूद युवा नये वर्ष के जोश में होश खोये थे।
अस्पतालों में ठिठुरते रहे मरीज नहीं जले अलाव
इन दिनों सर्दी का मौसम पूरे शवाब पर है इसके बावजूद शहर के प्रमुख सरकारी अस्पतालों में सर्दी से निपटने के इंतजाम नाकाफी दिखे। वैसे तो सभी अस्पतालों में रैन बसेरे बने हैं लेकिन रैन बसेरे रहने लायक नहीं है। सिविल अस्पताल में एक प्राईवेट कंपनी के रैन बसेरे में व्यवस्था उत्तम है लेकिन अस्पताल का रैन बसेरा बदहाल स्थिति में है। सिविल के पंजीकरण स्थल पर फर्श पर लेटे मरीजों से पूछने पर बताया कि वहां पर गंदगी बहुत है। वहां नींद नहीं आती है। मौके पर जाकर अस्पताल का परमानेन्ट रैन बसेरा देखा गया तो रैन बसेरे में मात्र तीन आदमी मिले। शेष बेड खाली दिखे। दो बेड पर दो कुत्ते जरूर गर्मी ले रहे थे।
मण्डलायुक्त कार्यालय के गेट पर ठिठुरते गरीब,लापरवाह प्रशासन
सरकार का स्पष्ट निर्देश है कि ठण्ड से किसी व्यक्ति की मौत नहीं होनी चाहिए। इसके लिए जिलों को ठण्ड से निपटने के इंतजाम करने और कम्बल खरीदने के लिए बजट भी दिया गया है। जिला प्रशासन की यह जिम्मेदारी होती है कि वह गरीबों में कम्बल बांटे। लेकिन राजधानी लखनऊ की हालत कुछ और ही बयां कर रही है। मण्डलायुक्त जिस पर पूरे मण्डल के लोगों की चिन्ता करने की जिम्मेदारी है वह खुद अपने कार्यालय के गेट पर सोने वाले लोगों की सुध नहीं ले रहा है। गुरूवार की रात को मण्डलायुक्त कार्यालय के गेट के दोनों तरफ छः लोग खुले आसमान के नीचे फर्श पर लेटे थे।
लोहिया अस्पताल के कार्यवाहक मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. ओमकार यादव ने बताया कि अस्पताल पहुँचने वाले अधिकांश चोटिल मरीजों में युवा हैं। हमारे यहां पहले से ही डाक्टरों की टीम एलर्ट थी। जो अस्पताल आया उसमें न्यूरो के केस को छोड़कर किसी को वापस नहीं किया गया।
बलरामपुर अस्पताल के निदेशक डा. प्रमोद कुमार ने बताया कि हमारे यहां रात में जो भी मरीज इलाज के लिए आये, सभी मरीजों को भर्ती किया गया है। किसी भी मरीज को वापस नहीं किया गया है। नया साल सभी मरीजों के लिए शुभ हो यह कामना करते हैं।
(हि.स.)
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