जयपुर, 02 अक्टूबर। चावल पर सूक्ष्म लेखन कला की मर्मज्ञ कलाकार श्रीमती नीरू छाबड़ा ने आज गांधी जयंती के अवसर पर चावल के दानों पर गांधी जी के जीवन के महत्वपूर्ण संदेशों को लिखकर जनचेतना जागृत करने का प्रयास किया है।
नीरू छाबड़ा ने अंकित किये चावल के दानों पर गांधी जी के संदेश
अनेक देशों के राष्ट्राध्यक्ष और प्रधानमंत्रियों ने श्रीमती नीरू छाबड़ा की सूक्ष्म लेखन कला की सराहना की है।
उन्होंने चावल के दानों पर महात्मा गांधी के जो संदेश लिखे हैं उनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
- हम क्या करते हैं और हम क्या कर सकते हैं इसके बीच का अंतर यदि समझ लें तो दुनिया की ज्यादातर समस्याएँ हल हो सकती हैं।
- जो आदमी अहिंसा को नहीं मानता है वह सत्य को कैसे मान सकता है?अगर अहिंसा व्यवहार में नहीं उतरती तो सत्य भी नहीं उतर सकता।
- अहिंसा का शाब्दिक अर्थ है हिंसा नहीं करना लेकिन मेरे लिए इसका मतलब और ज्यादा है। अहिंसा का पालन कर लें तो उसके लिए कोई दुश्मन नहीं होगाफ। जिस व्यक्ति को अहिंसा की ताकत में विश्वास है वह अपने लक्ष्य को हासिल कर लेगा। जब वह अपने लक्ष्य के नज़दीक पहुँचेगा तो सारा संसार उसके चरणों में होगा।
- सत्याग्रह ही सबसे उच्च और सर्वोत्तम शिक्षा है। ऐसी शिक्षा बच्चों को साधारण पढ़ाई.लिखाई के बाद नहीं, बल्कि उसके पहले दी जानी चाहिए। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि बच्चों को अक्षर ज्ञान और संसार की जानकारी हासिल करने से पहले यह जानना चाहिए कि आत्मा, सत्य और प्रेम क्या है। आत्मा में कौन सी शक्तियां छिपी पड़ी है। वास्तविक शिक्षा का यह एक आवश्यक अंग होना चाहिए कि बच्चा सीख ले कि जीवन संघर्ष में प्रेम द्वारा घृणा, सत्य द्वारा असत्य और कष्ट सहन द्वारा हिंसा पर आसानी से विजय पाई जा सकती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी नीरू छाबड़ा की सूक्ष्म लेखन कला को देखकर कुछ क्षण के लिए ठिठक गये थे औरउनके लिखे सूक्ष्म संदेश को उन्होंने पढ़ा था।
विगत 34 सालों से चावल पर सूक्ष्म लेखन करने वाली कलाकार का कहना है :
एक साधक की साधना का साधन बन गया,
हाथ में आते ही वह मेरा कैनवास बन गया,
इक नन्हा सा चावल मेरी पहचान बन गया,
सज कर मेरी तूलिका से ‘अक्षरधान’ बन गया।
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