न्यूयॉर्क, 10 जनवरी | न्यूयॉर्क टाइम्स ने कहा है कि नोटबंदी के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था भारी कठिनाई झेल रहा है और नकदी की कमी के कारण भारतीयों के जीवन में परेशानियां बढ़ रही हैं। समाचार पत्र ने सोमवार को अपने संपादकीय लेख में कहा कि भारत में 500 रुपये तथा 1,000 रुपये के नोटों के विमुद्रीकरण की भयावह योजना बनाई गई और उसे अंजाम दिया गया और इस बात के शायद ही सबूत हैं कि इससे भ्रष्टाचार पर लगाम लगी।
टाइम्स ने कहा, “भारत सरकार द्वारा अचानक सबसे ज्यादा चलन में रही मुद्रा को विमुद्रित करने के दो महीने के बाद अर्थव्यवस्था कठिनाई भरे दौर में है।”
लेख के मुताबिक, “विनिर्माण क्षेत्र में मंदी है, रियल एस्टेट तथा कारों की बिक्री गिर गई है, किसान, दुकानदार तथा अन्य भारतीयों के मुताबिक नकदी की कमी ने जीवन को बेहद कठिन बना दिया है।”
फाइल फोटो : नोटबंदी के दौरान बैंक के बाहर लगी लोगों की कतार –आईएएनएस
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते आठ नवंबर को 500 रुपये तथा 1,000 रुपये के नोटों को अमान्य घोषित कर दिया था। देश की पूरी करेंसी में इन दोनों नोटों का हिस्सा 86 फीसदी था।
मोदी ने कहा था कि ऐसा करना भ्रष्टाचार, कालेधन तथा आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटने के लिए आवश्यक था।
समाचार पत्र ने कहा, “नोटबंदी के कदम की योजना भयावह तरीके से बनाई गई और फिर उसका क्रियान्वयन किया गया। भारतवासी बैंकों के बाहर पैसे जमा करने व निकालने के लिए घंटों कतार में खड़े रहे।”
लेख में कहा गया, “नए नोटों की आपूर्ति कम है, क्योंकि सरकार ने पर्याप्त मात्रा में पहले इन नोटों की छपाई नहीं की थी। छोटे कस्बों तथा ग्रामीण इलाकों में नकदी की समस्या विकराल है।”
समाचार पत्र ने कहा, “भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कहा कि चार नवंबर को चलन में 17,700 अरब रुपये थे, जबकि 23 दिसंबर को यह आंकड़ा इसका आधा 9200 अरब रुपये हो गया।”
लेख में कहा गया, “इस बात के बेहद कम सबूत हैं कि नोटबंदी के कदम से भ्रष्टाचार से निपटने में सहायता मिली।” –आईएएनएस
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