चेन्नई, 27 अप्रैल| देश के सातवें और अंतिम नौवहन उपग्रह के प्रक्षेपण के लिए 51 घंटे 30 मिनट की उल्टी गिनती सुचारु रूप से जारी है। यह प्रक्षेपण 28 अप्रैल को अपराह्न् भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के श्रीहरिकोटा प्रक्षेपण केंद्र से होगा। इसरो के मुताबिक, 44.4 मीटर लंबा और 320 टन वजनी यह ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) गुरुवार अपराह्न् 12 बजकर 50 मिनट पर भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली (आईआरएनएसएस-1जी) के साथ अंतरिक्ष के लिए प्रस्थान करने वाला है।
करीब 20 मिनट की उड़ान में यह यान 1,425 किलोग्राम वजनी आईआरएनएसएस-1जी उपग्रह को 497.8 किलोमीटर की ऊंचाई पर कक्षा में स्थापित कर देगा।
पीएसएलवी ठोस तथा तरल ईंधन द्वारा संचालित चार चरणों/इंजन वाला एक प्रक्षेपण यान है।
यह उपग्रह, आईआरएनएसएस-1जी (भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली-1जी) के सात उपग्रहों के समूह का हिस्सा है। इसका उद्देश्य उपयोगकर्ताओं के लिए 1,500 किलोमीटर तक के विस्तार में देश और इस क्षेत्र की स्थिति की सटीक जानकारी प्रदान करना है।
अब तक भारत छह क्षेत्रीय नौवहन उपग्रहों (आईआरएनएसएस -1 ए, 1बी, 1सी, आईडी, 1ए और 1जी) का प्रक्षेपण कर चुका है।
इसरो के अधिकारियों ने हालांकि पहले कहा था कि यद्यपि इस पूरी प्रणाली में नौ उपग्रह शामिल हैं। जिनमें से सात कक्षीय और दो पृथ्वी पर स्थित हैं, लेकिन चार उपग्रहों के साथ भी इस नौवहन सेवा को संचालित किया जा सकता है।
इस प्रत्येक उपग्रह की लागत 150 करोड़ रुपये के करीब है। वहीं पीएसएलवी-एक्सएल प्रक्षेपण यान की लागत 130 करोड़ रुपये के आसपास है। सातों प्रक्षेपण यानों की कुल लागत करीब 910 करोड़ रुपये है।
अगर सब कुछ सुचारु रूप से हुआ तो समग्र आईआरएनएसएस प्रणाली के सातों उपग्रह गुरुवार को सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित हो जाएंगे।
यह क्षेत्रीय नौवहन प्रणाली स्थापित हो जाती है, तो भारत को अन्य मंचों पर निर्भर नहीं होना पड़ेगा। (आईएएनएस)
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