लखनऊ, 25 अप्रैल (जनसमा)। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि न्यायालय की भाषा, जनता की भाषा होनी चाहिए और अब समय आ गया है कि इस पर गम्भीरता से विचार किया जाए।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने यह विचार रविवार को नई दिल्ली में मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन के लिए दिए गये अपने वक्तव्य में व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करने और लोगों को इंसाफ दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है। न्यायपालिका सुचारु रूप से अपना कार्य तभी सम्पादित कर सकती है, जब उसे सभी जरूरी सुविधाएं उपलब्ध हों। इसके मद्देनजर प्रदेश की समाजवादी सरकार ने न्यायपालिका के लिए संसाधनों और सुविधाओं में बढ़ोत्तरी का काम लगातार किया है।
अखिलेश ने कहा कि देश का संविधान शासन के सभी अंगों यानि विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका को आपसी सम्मान व ताल-मेल के साथ जनहित में सभी को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय साथ समान अवसर प्रदान करने की बात कहता है।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की समाजवादी सरकार सदैव न्यायपालिका में पूर्ण आस्था, विश्वास व सम्मान प्रकट करती रही है। हमें न्यायपालिका के गौरवशाली इतिहास एवं परम्परा पर गर्व है। न्यायपालिका एवं कार्यपालिका एक-दूसरे की पूरक हैं। इन्हें आपस में सामंजस्य रखना चाहिए।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि उच्च न्यायालय द्वारा वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों को प्रत्येक मामले में न्यायालय में उपस्थित होने के लिए कहा जाएगा, तो वे कैसे अपने दैनिक कर्तव्यों का निर्वहन कर सकेंगे और कैसे जनता की समस्याओं का समाधान कर सकेंगे।
फाईल फोटोः अखिलेश यादव (आईएएनएस)
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