नई दिल्ली, 3 अक्टूबर | केंद्र सरकार ने सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय से कहा कि उसे कावेरी प्रबंधन बोर्ड के गठन के लिए केंद्र सरकार को निर्देश देने का अधिकार नहीं है, क्योंकि यह कावेरी जल विवाद न्यायाधिकरण की केवल अनुशंसा है, जो सरकार के लिए बाध्यकारी नहीं है। महान्यायवादी मुकुल रोहतगी ने शीर्ष अदालत के 30 सितम्बर के फैसले में संशोधन के लिए याचिका दायर करते समय न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित की पीठ के समक्ष यह बात कही। अदालत ने चार अक्टूबर तक केंद्र सरकार को कावेरी जल प्रबंधन बोर्ड गठित करने का निर्देश दिया था।
फाइल फोटो : बेंगलुरु में सभी पार्टी की कावेरी जल मुद्दे पर बैठक —आईएएनएस
याचिका की सुनावाई का समय मंगलवार अपराह्न् दो बजे तय करते हुए पीठ ने महान्यायवादी को याद दिलाया कि सुनवाई की पिछली तिथि पर वह इसके लिए सहमत थे कि केंद्र सरकार चार अक्टूबर तक कावेरी प्रबंधन बोर्ड का गठन करेगी।
महान्यायवादी ने पीठ से कहा कि कावेरी प्रबंधन बोर्ड के गठन के लिए हामी भर कर उन्होंने एक भूल की थी।
जब केंद्र सरकार बोर्ड गठन करने की प्रतिबद्धता से बचने की कोशिश की तो पीठ ने कर्नाटक से पूछा कि क्यों उसने कावेरी जल नहीं छोड़ा है?
तमिलनाडु सरकार की ओर से अधिवक्ता शेखर नफाडे ने पीठ से कहा कि अदालत के निर्देश के अनुरूप कर्नाटक ने कोई पानी नहीं छोड़ा है। इस पर अदालत ने पूछा, “क्या आपने कुछ जल छोड़ा है, जो हमारे आदेश के अनुपालन का हिस्सा हो सकता है। हम आपकी कठिनाई समझ सकते हैं।”
रोहतगी ने जब अदालत के 30 सितम्बर के आदेश में संशोधन के लिए केंद्र की याचिका पर सुनवाई करने का अनुरोध किया तो नफाडे ने इसका विरोध किया। उन्होंने कहा कि जल्दबाजी क्या है, क्योंकि कर्नाटक आदेश का अनुपालन नहीं कर रहा है और हरगिज नहीं करेगा। –आईएएनएस
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