नई दिल्ली, 17 फरवरी (जनसमा)। देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) छात्रसंघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार को पुलिस रिमांड खत्म होने के बाद जब पुलिस मजिस्ट्रेट के सामने पेश करने के लिए ले जा रही थी, उस समय कोर्ट परिसर में हंगामा हो गया और अफरातफरी मच गई।
भारत के कानून के इतिहास में शायद ऐसा पहली बार हुआ है जब सुप्रीम कोर्ट को निचली कोर्ट में पर्याप्त पुलिस बल होने के बावजूद हुए हंगामे के कारण अदालत की कार्यवाही को कुछ समय के लिए स्थगित करना पड़ा और स्थिति का निरीक्षण करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के पांच वरिष्ठ वकीलों की एक टीम को निचली अदालत के हालात का जायजा लेने के लिए भेजना पड़ा।
बताया जाता है कि उस समय कोर्ट में भारी सुरक्षा थी और लगभग 400 पुलिस के जवान तैनात भी थे, इसके बावजूद वकीलों की तरह दिखने वाले लोगों ने हुड़दंग किया और एक पत्रकार की पिटाई भी की तथा गेट नं॰ 3 के पास खड़ी ओ.बी. वैन और पत्रकारों पर पत्थर भी फैंके।
एक टीवी चैनल ने वरिष्ठ एडवोकेट इंदिरा जयसिंह के हवाले से बताया कि वहां कन्हैया कुमार की कुछ वकीलों ने पिटाई कर दी। समाचार एजेंसियों ने स्पष्ट रूप से अपने समाचारों में कहा है कि वकीलों ने पत्रकारों पर हमला किया है। यह दूसरी बार है।
समाचारों में बताया गया है कि वकीलों के इसी गुट ने 15 फरवरी को भी पत्रकारों के साथ मारपीट की थी। बुधवार को जिन पत्रकारों पर हमला किया गया उनमें नेटवर्क-18 के पत्रकार और फर्स्ट पोस्ट के कैमरामैन भी शामिल हैं। उससे पहले कोर्ट में दो गुटों में भी भिड़ंत हुई जिनमें एक गुट कन्हैया कुमार का विरोधी बताया गया जबकि दूसरा कन्हैया के वैधानिक अधिकारों का हिमायती है।
प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि कोर्ट परिसर में भारी संख्या में पुलिस बल था किंतु उसने कोई मदद नहीं की।
पटियाला हाउस कोर्ट के इस हंगामे की जानकारी जब वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने दोपहर 2.15 बजे सुप्रीम कोर्ट के सामने रखी तो सुप्रीम कोर्ट ने अपने स्तर पर दिल्ली पुलिस से जानकारी लेनी चाही परंतु जब कोई जानकारी नहीं मिली तो सुप्रीम कोर्ट ने पांच वरिष्ठ वकीलों को पटियाला हाउस कोर्ट में हालात का जायजा लेने के लिए पुलिस की सुरक्षा में भेजा।
सुप्रीम कोर्ट ने परिस्थिति को समझते हुए कुछ देर के लिए पटियाला हाउस कोर्ट में कार्यवाही स्थगित करने के लिए भी कहा। बाद में स्थिति थोड़ी शांत होने पर सुनवाई हुई जिसमें कन्हैया कुमार को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
समाचारों में बताया गया है कि कन्हैया कुमार का मेडिकल कोर्ट के अंदर ही होगा और खबर लिखे जाने तक (4.40 बजे) कन्हैया कुमार को कोर्ट के लॉक-अप में रखा गया है जिसे एक सुरक्षित स्थाना माना जाता है। मेडिकल के बाद कन्हैया कुमार को तिहाड़ जेल भेज दिया जाएगा।
जिस कोर्ट रूम में कन्हैया कुमार केस की सुनवाई हो रही थी उसमें बहुत कम स्थान होने के कारण उसमें कन्हैया के कुछ रिश्तेदारों, मित्रों और कुछ पत्रकारों के जाने की ही अनुमति दी गई थी।
पटियाला हाउस कोर्ट की घटना पर अनेक राजनीतिक दलों और लोगों ने गहरी चिंता व्यक्त की है। कांग्रेस के प्रवक्ता शकील अहमद ने कहा है कि किसी भी व्यक्ति को न्याय पाने के लिए अंतिम शरणस्थली न्यायपालिका होती है लेकिन अगर पटियाला हाउस कोर्ट की तरह हंगामा हो तो यह जनतंत्र के लिए ठीक नहीं है।
भाजपा के प्रवक्ता संबित महापात्र ने एक चैनल पर कहा कि कोर्ट में हई घटना की बीजेपी निंदा करती है। कोर्ट परिसर में इस प्रकार की अव्यवस्था नहीं होनी चाहिए।
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