नई दिल्ली, 15 मई | राष्ट्रीय राजधानी के पटियाला हाउस कोर्ट में तीन महीने पहले कुछ वकीलों ने पत्रकारों को खुलेआम पीटा था। इन तीन महीनों के बाद मामले की जांच कर रही दिल्ली पुलिस ने कुल मिलाकर अब इतना कहा है कि घटना की फुटेज की ‘जांच’ की गई है और हमलावर पहचान लिए गए हैं।
जांच की स्टेटस रिपोर्ट जल्द ही सर्वोच्च न्यायालय को सौंपी जाएगी। शीर्ष अदालत हमलावरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने वाली याचिका की सुनवाई कर रही है।
फाइल फोटो: 16 फरवरी 2016 को नई दिल्ली में पटियाला हाउस कोर्ट में पत्रकारों के साथ मारपीट के विरोध में आयोजित एक रैली में भाग लेते पत्रकार।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने अपनी पहचान नहीं बताने की शर्त पर आईएएनएस से कहा, “हमने पटियाला हाउस कोर्ट परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज की जांच की है और हमलावरों को पहचान लिया है।”
अदालत के एक अधिकारी ने आईएएनएस से कहा कि पटियाला हाउस कोर्ट परिसर में विभिन्न जगहों पर 40 कैमरे लगे हुए हैं, जो घटना के समय चालू थे।
उन्होंने कहा कि मामले की निष्पक्ष जांच के लिए घटना के बाद अदालत प्रभारी ने सभी फुटेज दिल्ली पुलिस को भेज दिए थे।
गत 15 और 17 फरवरी को वकील के वेष में लोगों के एक दल ने राष्ट्रविरोधी बताते हुए जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार समेत पत्रकारों, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के शिक्षकों और छात्रों पर हमला किया था।
गिरफ्तारी के बाद रिमांड के लिए कन्हैया को इन दोनों दिन अदालत लाया गया था।
हिंसा को लेकर दिल्ली पुलिस ने चार प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज की हैं।
न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने और शीर्ष अदालत द्वारा मामले की शांतिपूर्ण सुनवाई सुनिश्चित करने के 17 फरवरी के आदेश के कथित उल्लंघन के आरोप में तीन वकीलों विक्रम सिंह चौहान, यशपाल सिंह और ओम शर्मा को गिरफ्तार किया गया था। बाद में इन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया था।
पटियाला हाउस कोर्ट में भाकपा सदस्य अमीक जमेई पर हमले में शामिल होने के आरोप में दिल्ली के विधायक ओ. पी. शर्मा को भी गिरफ्तार किया गया था। बाद में उन्हें जमानत पर छोड़ दिया गया था।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने मामले को अदालत में विचाराधीन बता कर जांच के बारे में विस्तृत जानकारी देने से मना कर दिया। लेकिन, उन्होंने आईएएनएस से कहा, “हम एक जांच रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। जांच की पहले एक स्थिति रिपोर्ट शीर्ष अदालत में पेश की जाएगी और इसके बाद इस मामले में हम आरोपपत्र दायर करेंगे।”
बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने भी अदालत परिसर में हुई घटनाओं की जांच के लिए एक समिति बनाई है।
मामले में अभियोजन पक्ष के गवाह एक वकील ने आईएएनएस से कहा कि हमलावरों पर शिकंजा कसने के लिए उन्होंने घटना से संबंधित एक विस्तृत बयान अदालत में पेश कर दिया है।
उन्होंने कहा कि हिंसा में शामिल वकील राजनीतिक रूप से प्रेरित थे।
अधिवक्ता ने आरोपी वकीलों की निंदा करते हुए कहा कि कोई विवेकशील विधि अधिकारी उनका समर्थन नहीं करेगा।
हालांकि, कुछ वकीलों ने नाम न छापने की शर्त पर यह कहते हुए अपने समुदाय का बचाव किया कि विश्वविद्यालय में हुई ‘राष्ट्र विरोधी गतिविधियों’ के खिलाफ अधिवक्ता शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे। एक वकील ने कहा कि काले कोट में कुछ बाहरी लोगों ने आकर हंगामा किया था।
अधिवक्ता ने जेएनयू परिसर में सभाओं के फर्जी वीडियो दिखाने के लिए कुछ समाचार टीवी चैनलों की आलोचना भी की। उन्होंने कहा कि इन वीडियो को देखकर भावनाएं भड़की थीं। समाचार चैनलों को ऐसी गैरजिम्मेदार हरकत से बाज आना चाहिए।
फर्जी वीडियो दिखाने के लिए गत माह दिल्ली सरकार ने तीन समाचार चैनलों के खिलाफ शिकायत दर्ज कर कार्रवाई की मांग की है। दिल्ली सरकार की शिकायत में कहा गया है कि इनसे सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ा और पटियाला हाउस कोर्ट में पत्रकारों पर हमला हुआ।–आईएएनएस
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