नई दिल्ली, 10 जनवरी । पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ के विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अज़ीज़ के बयान के बाद भी भारत के रुख में नरमी नहीं आई है बल्कि पाकिस्तान से विदेश सचिव स्तर की बातचीत को लेकर अपनी पुरानी शर्त पर अड़ा है कि पहले पठानकोट के दोषियों पर कार्रवाई होनी चाहिए, तभी आगे बात हो सकती है। सूत्रों के अनुसार पठानकोट के दोषियों पर कार्रवाई के बिना बातचीत बेमानी है।
भारत ने साफ कर दिया है कि अगर विदेश सचिव स्तर की वार्ता होती है तो पाकिस्तान भी यह समझ ले कि इस वार्ता में मुद्दा पाकिस्तान की कार्रवाई का ही रहेगा। वार्ता इसी महीने 14-15 जनवरी को होनी है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने भले ही कार्रवाई का भरोसा दिया है लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लाहौर दौरे से जो गर्माहट पैदा हुई थी उसे बनाए रखने के लिए यह नाकाफी है। पाकिस्तान को दिखाना पड़ेगा कि उसने पठानकोट हमले के दोषियों पर कोई कार्रवाई की है।
भारत इसके सबूत पाकिस्तान को सौंप चुका है कि पठानकोट के आतंकी सीमापार से ही आए थे। आशंका जताई जा रही है कि पाकिस्तान दोबारा कह सकता है कि भारत के दिए सबूत नाकाफी हैं। हालांकि पाक पीएम शरीफ के विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज ने कहा है कि भारत-पाकिस्तान विदेश सचिव स्तरीय वार्ता 14-15 जनवरी को तय वक्त पर ही होगी।
सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान सरकार का भी मानना है कि वार्ता टालने या रद्द करने का मतलब अब तक के प्रयासों पर पानी फेरना होगा। पाकिस्तान सरकार और सेना मिलकर भारत की ओर से सौंपे गए सबूतों की जांच कर रही हैं।-एजेंसी
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