नई दिल्ली, 18 सितंबर | पतंजलि ब्रांड जींस के अगले वित्त वर्ष की शुरुआत तक बाजार में आने की उम्मीद है। “यह जींस आम जींस की तरह ही होगी, लेकिन इसका डिजाइन भिन्न होगा जो यकीनन युवाओं को आकर्षित करेगा।” बाबा रामदेव के प्रवक्ता ने जानकारी दी।
योगगुरु बाबा रामदेव ने जब बाजार में ‘स्वदेशी जींस’ पेश करने का ऐलान किया तो जैसे खलबली मच गई। पतंजलि ब्रांड के इस ऐलान की कहीं आलोचना हुई तो कहीं इसे लेकर उत्सुकता भी बनी हुई है। जींस का डिजाइन कैसा होगा? यह कब तक बाजार में उपलब्ध होगी? तमाम तरह के प्रश्न लोगों के मन-मस्तिष्क में उभर रहे हैं।
स्वदेशी जींस के ऐलान से युवाओं में मिली-जुली प्रतिक्रिया है तो परिधान क्षेत्र की कंपनियां भी दबी जुबान में अपनी नाराजगी व्यक्त कर रही हैं, लेकिन पतंजलि ने साफ किया है कि वह विदेशी लूट पर लगाम लगाने के लिए ‘स्वदेशी जींस’ ला रहा है।
फोटो : यह पतंजलि जींस नहीं है। जींस से मिलती-जुलती तस्वीर है।
बाबा रामदेव ने हाल ही में एक कार्यक्रम में बताया, “जींस युवाओं का कपड़ा है। विदेशी कंपनियां हमारे देश के कपास का इस्तेमाल कर जींस बनाती हैं और हमारे देश में इसे ऊंचे दाम पर बेचती हैं। इन बहुराष्ट्रीय कंपनियों की लूट-खसोट की नीति से देश को बचाना है और इसका एक ही उपाय है- स्वदेशी जींस।”
पतंजलि की वर्ष 2006 में स्थापना के बाद से इसका कारोबार निरंतर बढ़ा है। एफएमसीजी के क्षेत्र में परचम लहरा रही पतंजलि केबिस्कुट, हर्बल चाय, टूथपेस्ट, तेल, शैम्पू, साबुन, शहद और जूस घर-घर तक पहुंच बना चुके हैं। पतंजलि ने हाल ही में नूडल्स भी बाजार में उतारा है, लेकिन परिधान के क्षेत्र में प्रवेश करने का उसका फैसला अन्य कंपनियों की त्योरियां चढ़ाने वाला है।
इस फैसले को लेकर कहीं आलोचनाएं भी हो रही हैं तो कहीं इसे लेकर उत्साह बना हुआ है। लोग पतंजलि पर योग की आड़ में अपना कारोबार फैलाने के आरोप भी लग रहे हैं, लेकिन बाबा रामदेव के प्रवक्ता एस.के. तिजारेवाला ने आईएएनएस को बताया, “देश में जींस का बाजार 2,000 करोड़ रुपये का है। ऐसे में हम कारोबार क्यों न बढ़ाएं? विदेशी कंपनियां हमें लूट-खसोट कर खा रही हैं। घटिया एवं सस्ता उत्पाद हमें महंगे दाम में बेचकर हमारी पूंजी लूटी जा रही है और हम तमाशबीन बने रहें? यह मुमकिन नहीं है।”
तिजारेवाला कहते हैं, “विदेशी कंपनियां हमारे संसाधनों का उपयोग कर उत्पादों को सस्ते दामों में वापस हमें बेचती हैं। जिस जींस का उत्पादन अमेरिका या ब्रिटेन में हो रहा है, उसके लिए कपास यहीं से बाहर जाती है और महंगे दामों में वापस घरेलू बाजार में बिकती हैं। यह आर्थिक लूट है, जिसे स्वदेशी जींस के माध्यम से ही बंद किया जा सकता है।”
पतंजलि का कारोबार 3,000 करोड़ रुपये का है, जबकि कुछ लोग वित्तवर्ष 2015-16 में इसका कारोबार 5,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने का अंदेशा जता रहे हैं।
रामदेव के प्रवक्ता कहते हैं, “देश में ही जींस का निर्माण किया जाएगा। नए स्वरूप एवं नए डिजाइन में इसे लांच किया जाएगा। हमारे तीन उद्देश्य हैं, पहला विश्व स्तर की गुणवत्ता की जींस पेश करना, कम कीमत में इसे उपलब्ध कराना और विदेशी कंपनियों के लूट-खसोट की नीति को ध्वस्त करना।”
इस जींस के अगले वित्त वर्ष की शुरुआत तक बाजार में आने की उम्मीद है। यह पूछने पर कि यह जींस कैसी होगी? वह कहते हैं, “यह आम जींस की तरह ही होगी, लेकिन इसका डिजाइन भिन्न होगा जो यकीनन युवाओं को आकर्षित करेगा।”
वह बहुराष्ट्रीय कंपनियों पर निशाना साधते हुए कहते हैं, “हमें 70 वर्ष पूर्व ही आजादी मिल गई थी, लेकिन हम अभी भी आर्थिक गुलामी में जी रहे हैं। अंग्रेजों ने आर्थिक गुलामी के माध्यम से हमें गुलाम बनाया था। ईस्ट इंडिया कंपनी यहां कारोबार करने आई थी और उसने हमें गुलाम बना दिया। ये विदेशी कंपनियां सिर्फ व्यापार ही नहीं करतीं, बल्कि व्यापार के साथ अपने विचार भी लाती हैं।”
पतंजलि का मूलमंत्र है- देश में ही हर वस्तु का उत्पादन हो और विदेशी कंपनियों की लूट खत्म हो।
स्वदेशी जींस पर हालांकि युवाओं की मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय के कांलिदी कॉलेज की छात्रा जोनिता ने आईएएनएस को बताया, “स्वदेशी जींस शब्द काफी आकर्षित कर रहा है। बाजार में इसके लांच होने के बाद ही इसके खरीदने पर फैसला किया जाएगा।”
वहीं, एक अन्य कॉलेज की छात्रा सुमैया कहती हैं, “मुझे फिलहाल, स्वदेशी जींस में कोई दिलचस्पी नहीं है। मैं जब तक इसे देख नहीं लेती कि यह कैसी दिखती है, कुछ नहीं कह पाऊंगी।”
परिधान क्षेत्र में एक उभरती हुई कंपनी के प्रवक्ता ने नाम जहिर न करने की शर्त पर आईएएनएस से कहा, “बाबा रामदेव धीरे-धीरे अपना कारोबार बढ़ा रहे हैं। आटा नूडल्स, पूजा सामग्री से लेकर अब जींस। हैरानी नहीं होगी अगर आगे चलकर यह कंपनी इलेक्ट्रॉनिक सामान बेचने लगे।”
अभी स्वदेशी जींस के बाजार मूल्य पर विचार नहीं किया गया है, लेकिन पतंजलि का कहना है कि यह काफी किफायती होगी।
यह बात छेड़ने पर कि पतंजलि के सभी उत्पादों में गौमूत्र का इस्तेमाल होने का आरोप लगता रहा है, तिजारेवाला कहते हैं, “हमारे हर उत्पाद में गौमूत्र का इस्तेमाल नहीं होता। हमारे सिर्फ पांच उत्पादों में गोधन अर्क, पंचगव्य साबुन, संजीवनी बूटी और गाय का तेल और गोनाइल में ही गौमूत्र का इस्तेमाल होता है। पतंजलि की छवि धूमिल करने के लिए भ्रामक बातें फैलाई जा रही हैं।”
वह कहते हैं कि पतंजलि अपने उत्पादों की बिक्री से प्राप्त आय का इस्तेमाल चैरिटी में करती है। घरेलू बाजार में स्वदेशी जींस पेश करने के बाद कंपनी की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी इसकी बिक्री की योजना है।–आईएएनएस
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