नई दिल्ली, 16 फरवरी (जनसमा)। दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में पत्रकारों और कुछ लोगों से हुई मारपीट के मामले में हालांकि दिल्ली पुलिस ने एक एफआईआर दर्ज की है लेकिन पत्रकारों ने इस पर गहरा रोष जताया है और कहा है कि उन लोगों के खिलाफ नामजद मुकदमें दर्ज नहीं किए गए हैं जिन लोगों ने मारपीट की थी।
पत्रकारों पर हुई ज्यादतियों और उनके काम में बाधा डालने के मुद्दे को लेकर आज प्रेस क्लब से सुप्रीम कोर्ट तक पत्रकारों ने शांति मार्च निकाला। अनेक पत्रकारों ने इस मामले में पुलिस पर मूकदर्शक बने रहने का आरोप लगाया और कहा कि कोर्ट में जिन लोगों ने मारपीट की वह लोकतांत्रिक दृष्टि से बिल्कुल गलत है।
टेलीविजन पर प्रसारित समाचारों में कहा गया है कि मारपीट करने वाले लोग कुछ वकील हैं और उन्होंने खुलेआम गुंडागर्दी की है। पत्रकार राजदीप सरदेसाई का कहना है कि घटना छोटी और बड़ी नहीं होती, सही और गलत होती है। पत्रकारों को उनकी ड्यूटी निभाने में इस तरह की बाधा उत्पन्न करना उचित नहीं है।
बताया जाता है कि कल दिल्ली पुलिस आयुक्त ने कहा था कि यह एक माईनर इन्सीडेंस (छोटी घटना) है। राजदीप ने कहा कि जिन लोगों को कोई चैनल या किसी का लिखा हुआ पसंद नहीं है तो वह चैनल न देंखें और न पढ़ें लेकिन वहां जो कुछ हुआ, वह गलत हुआ। महिला पत्रकारों को भी नहीं छोड़ा गया, अगर हम अब आवाज़ नहीं उठाएंगे तो कब उठाएंगे।
समाचार चैनल एनडीटीवी से बातचीत में दिल्ली पुलिस कमिश्नर बी.एस. बस्सी ने बताया कि दिल्ली पुलिस संविधान और कानून के हिसाब से ही काम कर रही है। जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष कन्हैया की देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तारी के संबंध में पूछे जाने पर बस्सी ने कहा कि पूरी जानकारी के आधार पर ही गिरफ्तारी की गई है। कुछ और लोगों की भी पहचान की गई है जिन्हें जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
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