पनामा पेपर्स भाग-2 : एक नेता, एक उद्योगपति और पूर्व क्रिकेटर का नाम

नई दिल्ली, 5 अप्रैल | अब विदेश में गुपचुप ढंग से कंपनियां खोलकर काला धन रखने वालों में एक दिवंगत अंडरवर्ल्ड डॉन, एक नेता, एक उद्योगपति और एक पूर्व क्रिकेटर का नाम सामने आ रहा है। यहां तक कि जिस एजेंसी ने इन लोगों को बाहर कंपनी खोलने में मदद की, वही नई दिल्ली के जांच के प्रयासों में अड़ंगा डाल रही है। समाचार पत्र, इंडियन एक्सप्रेस ने मंगलवार को प्रकाशित रपट में यह दावा किया है।

दुनिया भर के लोगों के विदेश में गुप्त रूप से धन रखने के खुलासे के तहत ‘पनामा पेपर्स पार्ट 2’ शीर्षक वाले लेखों की श्रृंखला में इस अखबार ने भारतीय नामों की दूसरी सूची प्रकाशित की है। साथ में एक लेख भी है, जिसमें बताया गया है कि किस तरह दाऊद इब्राहिम के एक सहयोगी ने विदेश में संपत्तियां खरीदने के लिए 17 कंपनियों का इस्तेमाल किया।

दूसरी सूची में कुछ नामों का दोहराव है। ये हैं नेता अनुराग केजरीवाल, उद्योगपति गौतम और करण थापर, व्यवसायी रंजीव दहुजा और कपिल सेन गोयल, आभूषण व्यवसायी अश्विनी कुमार मेहरा, पूर्व क्रिकेटर अशोक मल्होत्रा और दवा व्यवसायी विनोद रामचंद्र जाधव।

इस सूची में सूचना प्रौद्योगिकी सलाहकार गौतम सींगल, कृषि व्यवसायी विवेक जैन, सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारी प्रभाष सांखला और वस्त्र निर्यातक सतीश गोविंद समतानी, विशाल बहादुर और हरीश मोहनानी के भी नाम हैं।

ये किस तरह काम करते थे, अखबार की रपट से इसकी भी झलक मिलती है।

खोजी पत्रकारों के अंतर्राष्ट्रीय संघ ने 100 से अधिक वैश्विक मीडिया संस्थानों के साथ छानबीन के बाद सोमवार को जब गुप्त रूप से विदेश में कंपनियां खोलने वालों की पहली सूची जारी की तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसके आलोक में कई एजेंसियों की जांच टीम बनाने का आदेश दिया था।

केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद इस मुद्दे पर संवाददाताओं से बात की थी। उन्होंने कहा था कि काले धन का पता लगाने के लिए कई जांच एजेंसियों की एक टीम गठित की जा रही है।

अखबार ने सोमवार को खोजी रपटों पर कई पृष्ठ की सामग्री दी थी। इनमें अन्य लोगों के अलावा अमिताभ बच्चन और ऐश्वर्य राय पर पनामा में कंपनियों के निदेशक होने का आरोप लगाया गया था। दोनों से संपर्क करने के प्रयासों के बावजूद इनके जवाब नहीं मिल पाए हैं।

मोदी के जांच आदेश जारी करने के बाद वित्त मंत्रालय ने घोषणा की कि जांच दल में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड की वित्तीय खुफिया इकाई, उसकी कर शोध इकाई और भारतीय रिजर्व बैंक के अधिकारी भी रहेंगे।

मंत्रालय ने बयान में आगे कहा गया है कि यह समूह प्रत्येक मामले में मिलने वाली ऐसी सूचनाओं पर नजर रखेगी। जांच प्रक्रिया में विदेशी सरकारों की मदद लेने सहित अधिकतम जानकारी हासिल करने के लिए सरकार हर जरूरी कार्रवाई करेगी।

इंडियन एक्सप्रेस ने मंगलवार के अंक में खुलासा किया है कि विदेश में कंपनियां खोलवाने में मदद करने वाली पानामा की कानूनी कंपनी मोसाक फोंसेका इस मुद्दे को मिट्टी में मिलाने के लिए भारत के हर प्रयास में अड़ंगा डालने की कोशिश कर रही है। कुछ मामलों में तो भारतीय प्रशासन खुद की लड़खड़ा रहा है।

अखबार का आरोप है कि गौतम अडानी के बड़े भाई इस क्रम में चाहते हैं कि उनका नाम विनोद शांतिलाल शाह कर दिया जाए और परिवार का नाम हट जाए। इससे पहले विनोद और उनकी पत्नी विदेश की कंपनी में दो निदेशक थे और बाद में उनकी पत्नी ने बेटे के लिए जगह बनाई।

दाऊद के करीबी इकबाल मिर्ची की लंदन में वर्ष 2013 में मौत हो गई थी। इसमें खुलासा किया गया है कि उसने और उसके परिवार के सदस्यों ने साइप्रस, तुर्की, मोरक्को और स्पेन में संपत्तियां खरीदने के लिए कंपनियों का ही रास्ता चुना।

मोसाक फोंसेका की एक ही कंपनी कंट्री प्रोपर्टीज लिमिटेड की ही इस तरह की 46 फाइलें हैं। (आईएएनएस)