परमाणु आतंकवाद के खिलाफ प्रौद्योगिकी अपनाने का मोदी का संकल्प

वॉशिंगटन, 2 अप्रैल। आतंकवादी संगठन, इस्लामिक स्टेट के बढ़ते खतरे के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा आहूत वैश्विक शिखर सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परमाणु आतंकवाद के खिलाफ सुरक्षा के लिए प्रौद्योगिकी विकसित करने और उसे तैनात करने का संकल्प लिया।

फोटोः 01 अप्रैल, 2016 को अमेरिका में परमाणु सुरक्षा शिखर सम्मेलन के दौरान विश्व के अन्य समकक्ष नेताओं के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी।

मोदी ने यहां शुक्रवार को दो दिवसीय परमाणु सुरक्षा शिखर सम्मेलन (एनएसएस) के समापन मौके पर यह संकल्प लिया। परमाणु आतंकवाद के खतरों पर चर्चा करने के लिए 50 से अधिक देशों के नेता यहां इकट्ठा हुए थे।

मोदी ने शुक्रवार को सम्मेलन के पूर्ण अधिवेशन में कहा कि वह मजबूत संस्थागत ढांचे, स्वतंत्र नियामक एजेंसी और प्रशिक्षित और विशिष्ट जन बल के माध्यम से परमाणु सुरक्षा को उच्च प्राथमिकता देना जारी रखेंगे।

उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत परमाणु तस्करी से मुकाबला करेगा और एक प्रतिबद्ध परमाणु तस्कर रोधी दल की मदद से परमाणु और रेडियोधर्मी सामग्री का पता लगाने के लिए राष्ट्रीय तंत्र को मजबूत करेगा।

परमाणु आतंकवाद से मुकाबला करने के लिए वैश्विक पहल के लिए भारत भी 2017 में एक बैठक आयोजित करेगा।

सम्मेलन में आतंकवाद से मुकाबला विषय पर आयोजित एक सत्र में वैश्विक नेताओं ने आतंकवादी संगठनों को परमाणु सामग्री हासिल करने से रोकने के उपायों पर भी चर्चा की, जिनका इस्तेमाल ‘विनाशकारी बमों’ को बनाने में प्रयोग किया जा सकता है।

ओबामा ने अपने चौथे और अपनी तरह के अंतिम सम्मेलन की मेजबानी करते हुए कहा, “इसमें कोई संदेह नहीं है कि अगर इन विक्षिप्त लोगों को परमाणु बम या परमाणु सामग्री हासिल हो जाए, तो वे निश्चित तौर पर निर्दोष लोगों की हत्या के लिए उसका इस्तेमाल करेंगे।”

ओबामा ने कहा, “इसमें हम सभी को अपनी भूमिका निभानी चाहिए। खुफिया जानकारी साझा करने के मामले में हमें काफी कुछ करने की जरूरत है।”

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, “आईएसआईएस के खिलाफ लड़ाई बेहद मुश्किल है, लेकिन हम साथ मिलकर इस दिशा में काफी सफलता हसिल कर रहे हैं और मुझे पूरा विश्वास है कि हम इस घृणित संगठन को नष्ट करने में सफल होंगे।”

सम्मेलन के बाद जारी की गई एक विज्ञप्ति के मुताबिक, “परमाणु और रेडियोधर्मी आतंकवाद अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है और यह खतरा लगातार बढ़ रहा है।”

विज्ञप्ति में कहा गया है, “अराजक तत्वों को परमाणु और अन्य रेडियोधर्मी सामग्री प्राप्त करने से रोकने के लिए कड़े कदम उठाने जरूरी हैं, जिनका इस्तेमाल गलत उद्देश्यों की पूर्ति के लिए किया जा सकता है।”

एक संयुक्त बयान में वैश्विक परमाणु सुरक्षा को सुदृढ़ करने के मुद्दे पर कहा गया है कि परमाणु सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए परमाणु सुरक्षा पर सतत कार्रवाई और इच्छाशक्ति की जरूरत है।

सम्मेलन में परमाणु सुरक्षा संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक ‘परमाणु सुरक्षा संपर्क समूह’ स्थापति करने का संकल्प लिया गया।

(आईएएनएस)