नई दिल्ली, 15 जून | नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने पारेषण नेटवर्क से जुड़ी 1,000 मेगावाट की पवन ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना के लिए एक योजना शुरू की है। यह जानकारी बुधवार को जारी एक आधिकारिक बयान से मिली। योजना का उद्देश्य पारदर्शी बोली प्रक्रिया के जरिए तय होने वाली कीमत पर गैर-हवादार राज्यों को पवन ऊर्जा की आसान आपूर्ति सुनिश्चित करना है। योजना के कार्यान्वयन के लिए भारतीय सौर ऊर्जा निगम (एसईसीआई) को प्रमुख एजेंसी के रूप में निर्दिष्ट किया गया है।
मंत्रालय ने योजना के कार्यान्वयन के लिए मसौदा दिशानिर्देश पर 24 जून तक आम लोगों से टिप्पणियां आमंत्रित की हैं।
मंत्रालय द्वारा यहां जारी बयान में कहा गया है, “मंत्रालय ने केंद्रीय पारेषण निकाय (सीटीयू) के पारेषण नेटवर्क से जुड़ी 1000 मेगावाट की पवन ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना के लिए एक योजना शुरू की है। इसका उद्देश्य गैर-हवादार राज्यों को पवन ऊर्जा की आसान आपूर्ति सुनिश्चित करना है।”
बयान में कहा गया है, “यह योजना परियोजनाओं के आकार में वृद्धि और सक्षम एवं पारदर्शी ई-बोली तथा ई-नीलामी प्रक्रियाओं की शुरुआत के जरिए प्रतिस्पर्धी क्षमता को बढ़ावा देगी। इससे गैर-हवादार राज्यों की गैर-सौर नवीकरणीय खरीद दायित्व (आरपीओ) संबंधी जरूरत को पूरा करने में भी सुविधा होगी।”
केंद्र सरकार ने वर्ष 2022 तक नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से 175 गीगावाट विद्युत क्षमता हासिल करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है और इसमें से 60 गीगावाट की प्राप्ति पवन ऊर्जा से होगी।
वैश्विक स्तर पर भारत पवन ऊर्जा की कुल स्थापित क्षमता के लिहाज से चीन, अमेरिका और जर्मनी के बाद चौथे स्थान पर है।
(फाइल फोटो)
Follow @JansamacharNews