नई दिल्ली, 20 जनवरी। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि देश में श्वेत और नीली क्रांति समय की मांग है। पशुधन देश और किसान दोनों के आर्थिक विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। देश में पिछले कई वर्षो में पहली बार दुग्ध उपलब्धता में 15 अंको का उछाल आया है। जबकि दुग्ध उत्पादन में भी वृद्धि दर्ज़ की गई है। पशुधन का विकास हमारी सरकार की प्राथमिकता में है।
राधा मोहन सिंह ने कहा है कि पशुधन और डेयरी विकास में पुरूषों के मुकाबले महिलाएं अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। डेयरी से संबंधित कार्यो से न केवल कृषि अर्थव्यवस्था मजबूत हो रही हैं बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में महिला सशक्तिकरण का आधार भी बन रहा है। डेयरी, पशुपालन विकास के लिए केंद्रीय कृषि एंव किसान कल्याण मंत्रालय ने विभिन्न स्तरों पर कई कार्यक्रम और योजनाएं शुरू की हैं।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने आज कृषि मंत्रालय में पशुपालन विभाग द्वारा प्रकाशित चार पुस्तकों नस्ल सर्वेक्षण-2013, मूलभूत पशुपालन, डेयरी एंव मत्स्य पालन सांख्यिकीय—2015, डेयरी किसान मैन्युअल और बोवाइनों के लिए जैव सुरक्षा और जैव संरक्षा और मैन्युअल का विमोचन किया। पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन विभाग ने देश में पहली बार निम्नलिखित दस्तावेजों को तैयार करने में उल्लेखनीय प्रयास किया है।
राधा मोहन सिंह ने कहा कि मुझे यह बताते हुए प्रसन्नता हो रही है कि कृषि (फसल एवं पशुधन) के संबंध में पशुधन क्षेत्र के सकल मूल्य संवर्धन (जीवीए) की हिस्सेदारी स्थिर मूल्यों पर 2011-12 के 24.7% से बढ़कर 2013-14 में 26.1% हो गई है।
देश का कुल दुग्ध उत्पादन 6.27% की वृद्धि के साथ 2013-14 के 132.69 मिलियन टन से बढ़कर 2014-15 में 146.31 मिलियन टन हो गया है। प्रति-व्यक्ति दूध की उपलब्धता 2013-14 के 307 ग्राम/दिन से बढ़कर 2014-15में 322 ग्राम/दिन हो गयी है, पिछले कई वर्षों में पहली बार दुग्ध की उपलब्धता में 15 अंकों का उछाल आया है। इसी प्रकार देश में अंडा उत्पादन में 4.9% की वृद्धि दर्ज़ की गई है ।
उन्होंने बताया कि देश में मांस उत्पादन ने 7.31% की वृद्धि दर्ज़ की है। ऊन के उत्पादन में 0.48% की बढ़ोत्तरी दर्ज़ की गई है। 19वीं पशुधन संगणना-2012 के अनुसार, 79% से अधिक गोपशु जनसंख्या देशी है। पशुधन संगणना-2012 अनुसार, विदेशी एवं वर्ण संकरित पशु कुल गोपशु जनसंख्यास में लगभग 21 प्रतिशत का योगदान देते हैं।
राधा मोहन सिंह ने कहा कि डेयरी भारतीय कृषि अर्थव्यवस्था महत्वपूर्ण उप-क्षेत्र है और 60 मिलियन ग्रामीण घरों को आजीविका सहायता प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। सामान्य रूप से भारतीय अर्थव्यवस्था और विशेष रूप से कृषि अर्थव्यवस्था में योगदान देने के अलावा यह क्षेत्र रोजगार सृजन, परि-संपत्ति निर्माण करने के साथ-साथ फसल नष्टहोने और प्रकृति की अनियमितता के खिलाफ वित्तीय सुरक्षा और रक्षा प्रदान करता है।
उन्होंने कहा कि गरीब लघु और सीमांत किसानों तथा भूमिहीन मजदूरों के 71 प्रतिशत गोपशु और 63 प्रतिशत भैंस के संसाधन हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में, दुधारु पशुओं को पालने से संबंधित अधिकांश क्रियाकलापों को महिलाओं द्वारा किया जाता है। इस क्षेत्र में 15 मिलियन पुरुषों के मुकाबले 75 मिलियन महिलायें शामिल हैं। पशुधन विकास क्रियाकलापों में महिलाओं की भागीदारी के प्रति बढ़ता हुआ रुझान है। इससे ग्रामीण समुदायों में महिला-प्रमुख घरों के सशक्तिकरण को बढ़ावा मिलता है।
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