पाकिस्तान के क्वेटा में फिदायीन हमले में 63 मरे

इस्लामाबाद, 8 अगस्त | पाकिस्तान के क्वेटा शहर के एक अस्पताल में सोमवार को हुए विस्फोट में 63 लोगों की मौत हो गई, जबकि 30 से अधिक लोग घायल हुए हैं। मृतकों में अधिकांश वकील हैं। पाकिस्तान में इस साल का यह सबसे भीषण आतंकवादी हमला है। बलूचिस्तान के स्वास्थ्य मंत्री रहमत बलूच ने इससे पहले एआरवाई न्यूज से 93 लोगों की मौत की बात कही थी। लेकिन बाद में उन्होंने स्पष्ट किया कि 63 लोगों की मौत हुई है, जबकि अन्य घायल हैं, जिनमें कई की हालत नाजुक है।

फोटो: विस्फोट में घायल एक व्यक्ति को ले जाते लोग। (सिन्हुआ/आईएएनएस)

चिकित्सकों के मुताबिक, मृतकों की संख्या बढ़ सकती है।

थर्रा देने वाला वह विस्फोट वीडियो में सुना जा सकता है, जो सिविल हॉस्पिटल के आपातकालीन वार्ड में उस वक्त हुआ, जब वहां एक वकील का शव लेने के लिए लगभग 100 वकील पहुंचे हुए थे। वकील की कुछ घंटों पहले गोली मारकर हत्या की गई थी।

समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, बलूच ने कहा कि एक फिदायीन हमलवार ने घटना को अंजाम दिया। एक बम रोधी दस्ते ने कहा कि हमलावर ने आठ से 10 किलोग्राम विस्फोट अपने कपड़ों के अंदर छिपा रखा था। पुलिस को हमलावर के पैर मिले हैं।

एआरवाई न्यूज ने कहा है कि मृतकों में 25 वकील तथा आज टेलीविजन के कैमरामैन शहजाद खान सहित दो पत्रकार हैं। मरने से पहले शहजाद को तेज आवाज में ‘कलमा’ पढ़ते हुए वीडियो में साफ सुना जा सकता है।

बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है, जहां तीन दिनों के शोक की घोषणा की गई है। प्रधानमंत्री नवाज शरीफ क्वेटा पहुंच चुके हैं। सेना प्रमुख राहील शरीफ ने घायलों से मिलने के लिए सिविल अस्पताल का दौरा किया।

बलूचिस्तान के मुख्यमंत्री सनाउल्लाह जहरी ने विस्फोट का आरोप भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ पर लगाया है। उन्होंने घटना को लेकर यह आरोप पुलिस की टिप्पणी से पहले लगाया है।

डॉन की रपट के मुताबिक, बलूचिस्तान बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष बाज मोहम्मद ककार सहित कई वकील विस्फोट में घायल हुए हैं।

विस्फोट के बाद मुठभेड़ भी हुई।

टेलीविजन रपटों के अनुसार, अराजकता के माहौल में लोग अस्पताल से बाहर भागे। विस्फोट के बाद इमरजेंसी वार्ड के गलियारे में धुआं भर गया, जिसके बाद घायलों की मदद करने वकील स्ट्रेचर लेकर अस्पताल के अंदर पहुंचे।

समा टेलीविजन के मुताबिक, फर्श खून से सराबोर है, जबकि कुछ शवों से धुआं निकल रहा है।

घटना से अवाक जिंदा बचे लोग रोते-चिल्लाते दिखे। मारे गए अधिकांश लोगों ने काला सूट व टाई पहन रखी थी।

पुलिस ने अस्पताल को चारों ओर से घेर रखा है और क्वेटा के अस्पतालों में आपाता स्थिति घोषित कर दी गई है।

बलूचिस्तान के गृहमंत्री सरफराज बुगती ने कहा, “यह सुरक्षा में हुई चूक का नतीजा है और मैं व्यक्तिगत तौर पर इसकी जांच कर रहा हूं।”

प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने घटना की निंदा की है और लोगों की मौत पर गहरी पीड़ा व दुख जताया है।

उन्होंने कहा, “प्रांत की शांति में खलल पैदा करने की किसी को भी अनुमति नहीं दी जाएगी। इस शांति को कायम करने के लिए बलूचिस्तान के अनगिनत लोगों पुलिसकर्मियों व सुरक्षाबलों ने बलिदान दिया है।”

पूर्व मुख्यमंत्री अब्दुल मलिक ने इसे बलूचिस्तान के इतिहास का सबसे काला दिन करार दिया।

यह इस साल का सबसे भीषण आतंकवादी हमला है, जिसके पहले 27 मार्च को लाहौर के गुलशन-ए-इकबाल पार्क में बमबारी कर 75 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया था।

पूरे पाकिस्तान के वकीलों ने क्वेटा में हुई इस घटना की निंदा की है। कराची में वकीलों ने न्यायालयों का बहिष्कार किया। बार एसोसिएशन ऑफ पाकिस्तान ने तीन दिनों के शोक की घोषणा की है।

बलूचिस्तान में वकीलों को कई बार निशाना बनाया गया है।

एक वकील जहानजेब अल्बी की तीन अगस्त को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

युनिवर्सिटी ऑफ बलूचिस्तान लॉ कॉलेज के प्राचार्य बैरिस्टर अमानुल्लाह अचकजई की भी जून में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

बलूचिस्तान में बीते एक दशक से अधिक समय से हिंसा व लक्षित हत्याएं हो रही हैं।

बलूचिस्तान बलूच अलगाववादियों का घर भी है। अलकायदा से संबद्ध तथा सांप्रदायिक आतंकवादी भी इस क्षेत्र में सक्रिय हैं। बलूचिस्तान में अशांति का आरोप इस्लामाबाद समय-समय पर नई दिल्ली पर लगाता रहा है।       –आईएएनएस