नई दिल्ली, 8 अप्रैल | ‘पानामा पेपर्स’ खुलासे में पांचवे दिन ओबेराय और रुचि समूह की विदेश स्थित कंपनियों के नाम सामने आए हैं। सबसे प्रमुख खुलासा अमेरिका में रहनेवाले एक भारतीय के बारे में है, जो कथित रूप से धोखाधड़ी के मामले में वहां जेल की सजा काट रहा है। अंतर्राष्ट्रीय खोजी पत्रकार संघ (आईसीआईजे) और 100 से अधिक मीडिया संस्थानों द्वारा किए गए वैश्विक खुलासे को पनामा पेपर्स नाम दिया गया है। इसी के तहत अग्रेजी दैनिक इंडियन एक्सप्रेस इससे संबंधित रपट प्रकाशित कर रहा है। ये पनामा की कानूनी मामलों की कंपनी मोसाक फोंसेका के लीक हुए दस्तावेजों पर आधारित हैं।
पनामा पेपर्स श्रृंखला के नए खुलासे में शुक्रवार को इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित रपट में कहा गया है कि छह अरब डॉलर के रुचि समूह ने पानामा में कम से कम आठ विदेशी कंपनियां और दो निजी प्रतिष्ठान स्थापित किए थे।
इसमें कहा गया है कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने भी अगस्त 2014 में कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाला मामले में रुचि समूह का नाम लिया था।
इस रपट में कहा गया है, “सहारा ने पानामा में दो ट्रस्ट बनाया था, थ्रीवेल्स फाउंडेशन के पब्लिक डीड पर एक अक्टूबर, 2009 और वन वर्ल्ड ट्रस्ट के डीड पर 22 अक्टूबर, 2008 को हस्ताक्षर किए गए थे।”
इसमें आगे बताया गया है, “इस संबंध में उन्हें (सहारा) 29 मार्च को एक विस्तृत मेल भेजा गया और उसके बाद कई कॉल किए गए। लेकिन अभी तक जबाव नहीं मिला।”
ओबेराय के बारे में अखबार ने आरोप लगाया है कि समूह ने कई विदेशी फंड के बारे में जानकारी दी है, लेकिन जो एक फंड बहामास में स्थापित किया गया, उसका खुलासा नहीं किया गया है।
अखबार ने कहा है कि इसके बावजूद समूह के गैर कार्यकारी अध्यक्ष आर. पी. एस. ओबेराय से फिर भी विस्तृत प्रतिक्रिया मिली है।
इस जबाव में कहा गया है, “यह सर्वविदित है कि ओबेराय समूह और एमेक्स समूह मिलकर होटल और होटल प्रबंधन के एक संयुक्त उद्यम के तहत कई सालों से भारत से बाहर काम कर रहे हैं।” साथ ही यह भी कहा गया कि यह व्यापार मुख्यत: ब्रिटिश वर्जिन आइसलैंड्स में ईआईएच होल्डिंग के माध्यम से किया जाता है।
“एमेक्स समूह के साथ निजी भागीदारी है, जिसके व्यापार को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता। एमेक्स समूह और ओबेराय समूह का संयुक्त उद्यम गोपनीय है और दोनों पार्टियां इसके बारे में चर्चा नहीं करने के लिए कानूनी तौर पर बाध्य है।”
अमेरिकी फंड मैनेजर के बारे में अखबार ने बताया, “पानामा पेपर्स में सबसे ज्यादा दस्तावेज चेतन कपूर और कबीर कपूर और उनकी व्यापार इकाई ‘फैमिली एंड चिल्ड्रेन चैरिटेबल फाउंडेशन’ के बारे में है, जिसे मोसाक फोंसेका ने पानामा में 2010 में शामिल किया था।”
पानामा पेपर्स के सारे दस्तावेज लॉ फर्म मोसाक फोंसेका के लीक हुए लाखों दस्तावेज हैं।
अखबार ने कहा है, “कपूर फाइल्स के दस्तावेजों के 499 सेट हैं और उससे पता चलता है कि चेतन कपूर ने मोसाक फोंसेका से एक ‘विंटेज ऑफशोर कंपनी’ ओपलर साल 2007 में 6,750 डॉलर में खरीदी थी। इसके महज तीन साल बाद ही उस एफसीसीएफ (फाउंडेशन) का गठन किया गया।”
अखबार ने कहा है, “जनवरी 2013 में उसे (चेतन) अमेरिकी सिक्युरिटीज एंड एक्सचेंज कमिशन ने 49.5 लाख डॉलर का जुर्माना लगाया और सिक्युरिटी, ब्रोकरेज और निवेश कारोबार करने से रोक दिया।” इसके बाद अमेरिकी संघीय अदालत ने एक करोड़ डॉलर का जुर्माना चुकाने में नाकाम रहने पर उसे जेल भेज दिया।
कबीर कपूर ने अखबार को बताया कि वह 2011 से अमेरिकी नागरिक हैं और उनका नाम फाउंडेशन में 2012 में जोड़ा गया। उन्होंने यह भी कहा कि ओपलर कंस्लटिंग को खत्म कर दिया गया है, हालांकि फाउंडेशन अभी भी मौजूद है। उन्होंने कहा, “जहां तक मेरे भाई चेतन कपूर का संबंध है तो वह अभी भी अमेरिका में जेल में हैं।”
“हमें किसी भी कोने से इस मामले में न्याय नहीं मिला है।”
रोजी ब्लू डायमंड समूह के बारे में हर्षद मेहता ने कहा, “मैं उस समय अनिवासी था, जब मैंने इन कंपनियों का गठन किया, अधिग्रहण किया या इनमें भागीदारी हासिल की।” उन्होंने अपने विदेशी कंपनियों की वैधता की ओर इशारा करते हुए अखबार से यह बातें कही।
उन्होंने कहा, “ये सभी कंपनियां चालू हालत में हैं और वैश्विक स्तर पर स्वीकार्य ढांचे के तहत ही गठित हैं। ये कॉपोरेट होल्डिंग ढांचे का पालन करती हैं।”
“संयुक्त अरब अमीरात में रहनेवाले अनिवासी भारतीय होने के नाते मुझे कर चोरी की जरूरत नहीं है और न ही मेरा इरादा इन कंपनियों को कर चोरी के लिए ‘टैक्स हैवेन’, जैसे बीवीआई (ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड) आदि में स्थापित करने का था।”
पांचवे दिन के खुलासे में सामने आए अन्य नाम हैं :
आर्ट कलेक्टर अमृता झवेरी, जो अमाया कलेक्श्न के लिए मशहूर हैं। इन पर आरोप है कि इन्होंने स्विट्जरलैंड में संपत्ति खरीदने के लिए सेशेल्स में एक विदेशी कंपनी बनाई थी। अखबार ने कहा है कि इन्होंने उसके फोन कॉल्स का जवाब नहीं दिया। उनके कार्यालय की तरफ से बताया गया कि उन्हें लंदन में अखबार द्वारा पूछे गए सवालों की जानकारी दे दी गई है।
दिल्ली के व्यावसायी सत्य प्रकाश गुप्ता, जिन्होंेने रास अल खैमा में एक विदेशी कंपनी के स्वामित्व की बात स्वीकारी है, लेकिन उन्होंने यह भी कहा है कि कंपनी की कोई संपत्ति नहीं है।
असम चाय उद्योग के जानेमाने नाम स्वर्गीय हेमेंद्र प्रसाद बोरा की बहू गार्गी बोरा का नाम भी इस सूची में सामने आया है। उन पर आरोप है कि पानामा में 2010 में गठित की गई वॉकस, फाउंडेशन की अकेली लाभार्थी है। उन्होंने भी अखबार के सवालों का जवाब नहीं दिया।
दिल्ली निवासी दंपति निमित्त राय तिवारी और अंकिता सहगल, दामोदर सुनिधि वेंचर्स के निदेशक हैं। इनका ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स में कथित रूप से सनसेल होल्डिंग एसए नामक कंपनी है। अंकिता सहगल ने भी अखबार द्वारा भेजे गए कई सारे ईमेल के जवाब नहीं दिए हैं।(आईएएनएस)
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