पीओके भारत के लिए गले की हड्डी : वायुसेना प्रमुख

नई दिल्ली, 1 सितंबर | भारतीय वायु सेना प्रमुख अरूप राहा ने गुरुवार को कहा कि भारत कश्मीर विवाद को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाने के लिए संयुक्त राष्ट्र के पास गया, जबकि उसके पास सैन्य समाधान का रास्ता था और पाकिस्तान के कब्जे वाली कश्मीर अभी तक हमारे लिए गले की हड्डी बना हुआ है। राष्ट्रीय राजधानी में एक कार्यक्रम के दौरान राहा ने कहा कि अतीत में भारत सैन्य ताकत का इस्तेमाल करने में संकोच बरतता था, खासकर वायुसेना का और इसने संघर्ष के खात्मे के लिए अपना पूरा जोर नहीं लगाया।

राहा ने कहा, “हम सैन्य ताकत खासकर वायुसेना का इस्तेमाल करने में संकोच कर रहे हैं। किसी संघर्ष के दौरान अपने विरोधियों को डराने-धमकाने के लिए हम वायुसेना का इस्तेमाल करने में संकोच बरतते रहे हैं, जैसा अतीत में कई बार हो चुका है। संघर्ष को पूरी तरह खत्म करने में हम अपनी पूरी ताकत नहीं झोंक पाए।”

फाइल फोटो:भारतीय वायु सेना प्रमुख अरूप राहा

उन्होंने आजादी के बाद कश्मीर पर कबायलियों के हमले का हवाला दिया।

उन्होंने कहा, “सन् 1947 में स्वतंत्रता के तुरंत बाद सेना तथा सरकार समर्थित सीमा पार से आए कबायलियों ने जम्मू एवं कश्मीर पर कब्जा करने का प्रयास किया। तब भारतीय सेना जमीनी स्तर पर उतनी मजबूत नहीं थी। उन छापामारों से निपटने और भारतीय क्षेत्र पर कब्जे से रोकने के लिए सेना के पास उतने जवान नहीं थे।”

वायुसेना प्रमुख ने कहा, “तब उन कबायली लड़ाकों को वापस खदेड़ने में भारतीय वायुसेना ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।”

उन्होंने कहा, “..और जब मनोबल ऊंचा रखने के लिए सैन्य समाधान का रास्ता सामने था, तो हम शांतिपूर्ण समाधान के लिए संयुक्त राष्ट्र के पास गए। लेकिन समस्या जस का तस है और पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर आज भी हमारे गले की हड्डी बना हुआ है।”

उन्होंने कहा कि पहली बार सन् 1971 में जब वायुसेना का इस्तेमाल किया गया, तब परिणाम स्वरूप बांग्लादेश का निर्माण हुआ।

अरूप राहा ने कहा, “सन् 1971 में भारतीय वायुसेना का पूरी तरह इस्तेमाल किया गया। भारतीय वायुसेना की असीम क्षमता ने भारतीय सेना व भारतीय नौसेना के साथ मिलकर समन्वित तरीके से काम किया, जिसका परिणाम पूरी दुनिया ने देखा कि मात्र 15 दिनों के संघर्ष में बांग्लादेश बन गया।”

उन्होंने कहा, “लेकिन हालात अब बदल चुके हैं। मैं सोचता हूं कि अपनी सुरक्षा तथा क्षेत्र में संघर्ष को रोकने के लिए हम वायुसेना का इस्तेमाल करने के लिए तैयार हैं।”

भारतीय वायुसेना की टिप्पणी ऐसे वक्त में सामने आई है, जब भारत ने पाकिस्तान को अवगत करा दिया है कि इस्लामाबाद में आगामी विदेश सचिव स्तरीय वार्ता में वह पाकिस्तान के कब्जे वाली कश्मीर को जल्द से जल्द खाली कराने को लेकर चर्चा करेगा।

भारत ने पाकिस्तान में बलूचिस्तान का मुद्दा उठाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वतंत्रता दिवस के अपने भाषण में खुद इसका जिक्र कर चुके हैं। साथ ही उन्होंने सर्वदलीय बैठक में भी बलूचिस्तान में मानवाधिकार के कथित हनन के मामले पर चर्चा की।

–आईएएनएस