सामान्य तौर पर माना जाता है कि पूर्णचंद्र के दौरान बच्चे अतिसक्रिय हो जाते हैं। हालांकि यह सही नहीं है, लेकिन पूर्णचंद्र के दौरान बच्चों की नींद जरूर प्रभावित होती है और वे औसत से 5 मिनट कम सोते है। एक नए अध्ययन से यह खुलासा हुआ है। शोधकर्ताओं का कहना है कि हालांकि 5 मिनट कम सोने से उनके स्वास्थ्य को कोई खास नुकसान नहीं होता।
कनाडा के ईस्टर्न ओंटारियो रिसर्च इंस्टीट्यूट के शोधकर्ता जेन फिलिप चापुट बताते हैं, “कुल मिलाकर मैं समझता हूं कि हमें पूर्णचंद्र से चितिंत होने की जरूरत नहीं है। हमारे व्यवहार गुरुत्वाकर्षण बल की तुलना में कई अन्य बाहरी कारकों से प्रभावित होते हैं जिनमें मुख्य रूप से जीन, शिक्षा, आय और मनोवैज्ञानिक पहलू शामिल हैं।”
चंद्र चक्र का मनुष्यों पर क्या असर होता है। इसे लेकर अंतराष्ट्रीय शोधकर्ताओं के दल ने बच्चों की नींद के पैटर्न का अध्ययन किया था कि उनकी दैनिक गतिविधियों का नींद पर क्या असर होता है।
चापुट विस्तार से बताते हैं, “हमने यह शोध बच्चों पर इसलिए किया क्योंकि वयस्कों की तुलना में उनका व्यवहार ज्यादा परिवर्तनशील होता है और उन्हें नींद की जरूरत वयस्कों से कहीं अधिक होती है।”
यह शोध पांच महादेशों के 5,812 बच्चों पर किया गया। ये बच्चे अलग-अलग सामाजिक-आर्थिक समूह और सामाजिक-सांस्कृतिक समूह के थे और उनकी उम्र, लिंग, अधिकतम शिक्षा, नापने का दिन, बॉडी मॉस इंडेक्स स्कोर, रात में नींद की अवधि, शारीरिक गतिविधियों का स्तर और उनकी सुस्ती का वक्त आदि में काफी विविधता थी।
इस शोध के लिए आंकड़े इकट्ठा करने का काम 28 महीनों तक चला, जो कि चंद्र चक्र के इतने ही नंबर के बराबर है।
इन्हें तीन चंद्र चक्रों में बांटा गया – पूर्ण चंद्र, अर्ध चंद्र और नया चंद्र।
इस शोध में पता चला कि बच्चों की नींद के अलावा उनकी किसी अन्य गतिविधि या व्यवहार में कोई बदलाव नहीं देखा गया।
चापुट कहते हैं, “इसमें महत्वपूर्ण बात यह पता चली कि पूर्ण चंद्र के दौरान बच्चों की एक फीसदी नींद कम हो जाती है।”
यह शोध फ्रंटियर इन पीडियाट्रिक्स नाम के जर्नल में प्रकाशित किया गया है।
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