पूर्वी यूपी का सोनभद्र अब नोएडा बनने की राह पर है। नक्सल प्रभावित रहे चंदौली और मीरजापुर जनपदों में भी प्रथम फेज में बड़ा निवेश तैयार है। चंदौली में जहां 17.4 हजार करोड़ तो मीरजापुर में 6 हजार करोड़ की निवेश परियोजनाएं क्रियान्वयन के लिए तैयार हैं।
लखनऊ, 22 नवंबर। यूपी का सोनभद्र (Sonbhadra) जिला, जो कभी देश में नक्सलियों के चरागाह के रूप में कुख्यात था, आज प्रदेश के विकास में भागीदारी करने वाला दूसरा सबसे महत्वपूर्ण जिला बन चुका है।
प्राकृतिक और खनिज संपदा की प्रचूरता के बावजूद दशकों तक अव्यवस्था और नक्सल गतिविधियों के चलते उद्योग जगत यहां बड़ा निवेश (Investment) करने से कतराते रहे।
नक्सलियों द्वारा लेवी डिमांड (अवैध उगाही) से त्रस्त उद्यमियों ने पिछले दशकों में सोनभद्र से किनारा कर लिया। हालांकि, अब परिस्थितियां बिल्कुल बदल चुकी हैं।
योगी सरकार (Yogi Government) की अपराध और अपराधियों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति, दुर्गम और हाशिये वाले क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाओं का विकास, आधारभूत संरचनाओं का निर्माण और बेहतर कनेक्टिविटी ने सोनभद्र से ना सिर्फ नक्सल गतिविधियों का अंत किया है, बल्कि अब ये जिला यूपी के विकास का दूसरा ग्रोथ इंजन बनने जा रहा है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार नोएडा के बाद सबसे ज्यादा निवेश सोनभद्र में ही होने वाला है। इस निवेश से ना सिर्फ पूर्वांचल बल्कि प्रदेश के विकास को भी रफ्तार मिलेगी। तकरीबन 79 हजार करोड़ की 43 निवेश परियोजनाएं सोनभद्र में कार्यान्वित होने के लिए बिल्कुल तैयार हैं।
सोनभद्र में ऊर्जा और अक्षय ऊर्जा से जुड़े लगभग 35 हजार करोड़ के दो बड़े प्रोजेक्ट जल्द से जल्द धरातल पर उतरने को तैयार हैं। इनमें ओबरा में 2×1600 मेगावाट सुपर थर्मल पॉवर प्लांट और सिंगरौली में तापीय विद्युत संयत्र का विस्तार शामिल है।
इसके अलावा 3660 मेगावाट की ऑफ स्ट्रीम क्लोज लूप पंप स्टोरज परियोजना भी सोनभद्र के लिए वरदान साबित होगी। ये तीनों बड़ी परियोनाएं शासन की ओर से अनुमोदित हो चुकी हैं। गौरतलब है कि ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी के प्रथम फेज में लगभग 13 लाख करोड़ से अधिक की परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिए अलग अलग विभागों को मुख्यमंत्री की ओर से निर्देशित किया गया है।
प्रदेश के सभी 75 जिलों में भी निवेश पर योगी सरकार का पूरा जोर है। इस परिप्रेक्ष्य में देखें तो प्रदेश के उस जिले ने सबसे बेहतर प्रदर्शन किया है, जिसे कभी नक्सल गतिविधियों का गढ़ माना जाता था।
ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट-23 (जीबीसी) के प्रथम फेज के लिए नोएडा में 1.96 लाख करोड़ की परियोजनाएं निवेश के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। वहीं इस पायदान पर दूसरे नंबर पर सोनभद्र जिले का नाम सामने आया है। इसके बाद झांसी में तकरीबन 63 हजार करोड़ की 175 परियोजनाएं, लखनऊ में 34 हजार करोड़ की 327 परियोजनाएं और बरेली में 31.7 हजार करोड़ की 357 परियोजनाएं धरातल पर उतरने जा रही हैं।
नक्सल प्रभावित रहे चंदौली और मीरजापुर जनपदों में भी प्रथम फेज में बड़ा निवेश तैयार है। चंदौली में जहां 17.4 हजार करोड़ तो मीरजापुर में 6 हजार करोड़ की निवेश परियोजनाएं क्रियान्वयन के लिए तैयार हैं। बेहतर कानून व्यवस्था कैसे विकास में सहायक हो सकती है, ये तीनों जिलों के प्रदर्शन से साफ दिखाई देता है।