संदीप पौराणिक===
झांसी, 13 जून | बुंदेलखंड के झांसी की कुछ सड़कों पर गुजरते वक्त बरबस आपका ध्यान पेड़ों की ओर चला ही जाएगा और उन पर लिखे संदेश आपके मन और दिल को छू जाएंगे, क्योंकि इन संदेशों के जरिए पेड़ अपील कर रहे हैं, ‘मुझे मत काटो, मैं तुम्हारा जीवन हूं, मुझे बचाओ।’ पेड़ों को बचाने की मुहिम चलाई है सात सहेलियों ने।
देश के लगभग हर हिस्से में विकास की तेज आंधी के बीच जंगल सिकुड़ते जा रहे हैं, सड़कों के चौड़ीकरण के कारण किनारे के पेड़ों पर खतरा आना आम बात है। यह बात झांसी की सात सहेलियों को खटक गई। उन्होंने महिलाओं का जेसीआई झांसी गूंज नामक संगठन बनाया और तय किया कि वे पौधे रोपेंगी, नहीं बल्कि पेड़ों को बचाने का अभियान चलाएंगी।
जेसीआई झांसी गूंज की कार्यक्रम प्रभारी ममता दसानी ने आईएएनएस से कहा कि उन्होंने देखा है कि पौधों का रोपण होता है, मगर कुछ समय बाद ही वे मुरझाकर खत्म हो जाते हैं, लिहाजा उन्होंने अपने साथियों के साथ तय किया कि वे अब पौधे रोपेंगी नहीं, बल्कि पेड़ों को बचाने का काम करेंगी। इसके लिए जागरूकता अभियान चलाने के साथ पेड़ों पर संदेश लिखेंगे ताकि आम लोगों में पेड़ों के प्रति अपनेपन का भाव विकसित हो। इसी के मद्देनजर सड़क किनारे के पेड़ों पर संदेश लिखे गए।
दसानी बताती है कि हर कोई बचपन में पढ़ा होता है कि पेड़ सूरज की रोशनी तथा पानी से अपना खाना पकाते हैं और इंसान को जीवन देते हैं, यही बात बड़े होने तक भूल जाते हैं। इसे लोग याद रखें इसी को ध्यान में रखकर यह मुहिम चलाई जा रही है।
संस्था की अध्यक्ष रेखा राठौर का कहना है कि उनकी इस मुहिम का मकसद सड़क किनारे लगे पेड़ों को हरा बनाए रखना है, अगर कोई इनसे छेड़छाड़ करने की कोशिश करे तो उस पर लिखे संदेश उसे भावुक कर दे ताकि वह अपनी मंशा को त्याग दे। वहीं इन पेड़ों के नजदीक से गुजरने वालों में पेड़ों के प्रति संवेदना जागे।
संस्था की सचिव वैशाली पुंशी बताती हैं कि यह संस्था सात लोगों ने मिलकर शुरू की थी, इसकी संख्या अब बढ़कर 56 तक पहुंच गई है। जिन पेड़ों पर जागृति लाने के संदेश लिखे गए हैं, उनकी नियमित तौर पर देखरेख की जाती है, साथ पेड़ के आसपास गंदगी जमा न हो इसका भी ध्यान रखा जाता है।
इलाहाबाद बैंक चौराहे से रेलवे के डीआरएम कार्यालय की ओर जाने वाली सड़क के पेड़ों पर दर्ज संदेश वहां से गुजरने वालों की आंखों में समा ही जाते हैं। कोषाध्यक्ष पूजा अग्रवाल को इस बात का संतोष है कि उनकी पर्यावरण रक्षा के लिए चलाई जा रही मुहिम का अन्य महिलाओं का साथ मिल रहा है।
संस्था की प्रबंधन प्रभारी योगिता अग्रवाल बताती हैं कि संदेश लिखने से पेड़ों को किसी तरह की हानि न पहुंचे इसका भी ध्यान रखा जाता है। ऐसे रंगों का उपयोग होता है, जो रासायनिक नहीं हैं।
महिलाओं की इस सस्था ने आगामी समय में पौधारोपण और पेड़ों की सुरक्षा की योजना भी बनाई है। संस्था की योगिता अग्रवाल दिव्या अग्रवाल और दीपाली अग्रवाल आगामी कार्ययोजना का जिक्र करते हुए बताती हैं कि सभी सदस्यों ने तय किया है कि अपने, पति अथवा बच्चों के जन्म दिन पर एक-एक पेड़ लगाएंगी, यह सिर्फ रस्म अदायगी नहीं होगा, बल्कि उसके बड़े होने तक का जिम्मा लेंगी। –आईएएनएस
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