नई दिल्ली, 27 दिसंबर। भारतीय शास्त्रीय नृत्य के प्रख्यात समीक्षक, इतिहासकार, विद्वान और आलोचक सुनील कोठारी का आज शाम दिल्ली में अंतिम संस्कार कर दिया गया।
उनका रविवार सुबह हृदयाघात से देहांत हो गया था। वे 87 साल के थे।
अंतिम संस्कार के समय मात्र दो लोग, उनके पड़ौसी और कथक की वरिष्ठ गुरू गीतांजलि लाल और नर्तक अभिमन्यु लाल ही उपस्थित थे। कोरोना के कारण उन्हें अन्य लोग अंतिम श्रद्धांजलि भी नहीं दे सके।
सुनील कोठारी का निधन भारतीय शास्त्रीय नृत्य जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। इस समय देश में उनके जैसे नाट्यशास्त्र के जानकार गिने चुने विद्वान ही हैं।
पद्मश्री और संगीत नाटक अकादमी से सम्मानित सुनील कोठारी नृत्य जगत में अत्यंत लोकप्रिय और सम्मान शख्सियत थे।
उनका जन्म 20 दिसंबर 1933 को गुजरात के खेड़ा जिले में हुआ था। उन्होंने शुरू में चार्टर्ड अकाउंटेंट की शिक्षा प्राप्त की और बाद में नृत्य की शिक्षा के लिए मुंबई के एक कॉलेज में दाखिला लिया।
उन्होंने बड़ौदा के सयाजीराव गायकवाड विश्वविद्यालय से दक्षिण भारतीय नृत्य नाट्य परंपरा पर लिखे गए शोध प्रबंध पर पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। उन्हें डॉक्टर ऑफ लिटरेचर से सम्मानित किया गया था।
इमेज सौजन्य: एनसीपीए यूट्यूब
प्रारंभिक सालों में उनकी मध्यकालीन नृत्य मुद्राओं वाली मूर्तियों में अधिक रुचि थी और उन्होंने गुजरात के मध्यकालीन मंदिरों में की नृत्य मुद्राओं वाली मूर्तियों पर विशेष रूप से शोध किया था।
कोठारी को एक महीने पहले कोविड-19 से संक्रमित हो गए थे और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वहाँ से ठीक होकर घर आ गए थे और घर पर ही इन दिनों आराम कर रहे थे कि अचानक हृदयाघात से उनका देहांत हो गया।
उनका देहांत नृत्य जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है कहा जा सकता है कि शास्त्रीय कलाओं का पारखी विद्वान हमारे बीच से उठ गया जिसकी पूर्ति होना इस समय तो दिखाई नहीं देता।
देशभर के नृत्य और कला जगत के अधिकांश कलाकारों, नृत्यकारों, समीक्ष्कों ने उन्हे श्रद्धांजलि दी है।
शानदार दोस्ताना स्वभाव के इंसान थे और उन्हें नृत्य कला की बारीकियों को समझने की अद्भुत क्षमता थी।
भारत ही नही विदेशों में भी उनको चाहने वालों की लंबी फहरिश्त है और सभी को उनकी मृत्यु से गहरा आघात लगा हे।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सुनील कोठारी को सभी शास्त्रीय नृत्य शैलियों की जानकारी थी। एक समय ऐसा भी था जब वे समाचार पत्रों में नृत्य समीक्षाएँ लिखते थे और हर छोटा-बड़ा कलाकार उम्मीद करता था कि सुनील कोठारी उनकी प्रस्तुति पर टिप्पणी करे।
सुनील कोठारी ने भारत के दिग्गज नृत्यकारों रुक्मणी देवी अरुण्डेल, शंभू महाराज, बालासरस्वती ,यामिनी कृष्णमूर्ति, मृणालिनी साराभाई, पद्मा सुब्रमण्यम, चित्रा विश्वेश्वरन, मल्लिका साराभाई कलामण्डलम गोपी, बिरजू महाराज, पी सत्यनारायण, सितारा देवी, सोनल मानसिंह, कुमुदिनी लाखिया, रोहिणी भाटे, संयुक्ता पाणिग्रही आदि अनेक दिग्गज और ग्रेट मास्टर्स हैं, जिन के नृत्य को देखा था और और अपने विचार व्यक्त किये थे।
सुनील कोठारी को फेस बुक और सोशल मीडिया पर नृत्य और संगीत जगत के कलाकारों और दोस्तों ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की है।
उन्होंने भारतीय शास्त्रीय नृत्य पर 30 से अधिक पुस्तकें लिखी है
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