चेन्नई, दिल्ली, जयपुर। प्रसिद्ध भरतनाट्यम नृत्यांगना और गुरु, लेखिका और शोधार्थी लक्ष्मी विश्वनाथन का गुरुवार 19 जनवरी, 2023 को चेन्नई में निधन हो गया। वह 78 वर्ष की थीं।
उनकी बहन और कर्नाटक गायिका चारुमति रामचंद्रन के अनुसार, उन्होंने सुबह सांस फूलने की शिकायत की और अचानक उनका निधन हो गया।
दिग्गज कलाकार का निधन संगीत और नृत्य बिरादरी के लिए एक सदमा है। दिल्ली के कलाजगत ने उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी है।
पिछले महीने चेन्नई में एक नृत्य आयोजन से भाग लेकर जयपुर लौटी जानीमानी कथक नृत्यांगना सुश्री प्रेरणा श्रीमाली ने
अपनी चेन्नई में हुई मुलाक़ात की फोटो साझा करते हुए श्रद्धांजलि दी और कहा कि वे एक विदुषी और भरतनाट्यम की बेहतरीन कलाकार थी।
चेन्नई के कलाजगत में वे बहुत सक्रीय थीं और मरगज़ी में सेमिनार, नृत्य प्रदर्शन और वार्ता सहित विभिन्न कार्यक्रमों में बड़े पैमाने पर भाग लेयी थीं। उनकी बहन सुजया मेनन के अनुसार एक सप्ताह से भी कम समय पहले वे भोपाल में एक सांस्कृतिक उत्सव में भाग लेने के बाद लौटी थीं। ।
वरिष्ठ भरतनाट्यम नृत्यांगना चित्रा विश्वेश्वरन, जिन्होंने 25 दिसंबर को पद्मा सुब्रह्मण्यम और सुधारानी रघुपति के साथ कलाक्षेत्र में लक्ष्मी के साथ मंच साझा किया था, याद किया और कहा कि उन्होंने हमेशा रसिकों और कलाकारों का आनंद और उत्साह बढ़ाया।
उनका नृत्य देखने के बाद कुछ सालों पहले अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध कोरियोग्राफर मार्क मॉरिस ने कहा था “लक्ष्मी विश्वनाथन एक उत्कृष्ट कलाकार, एक मुखर विद्वान और अभिनय के एक ईमानदार और रचनात्मक प्रस्तावक, एक सुंदर, शालीन और उदात्त कलाकार कहा था। उन्हें असाधारण प्रतिभा और असाधारण कल्पना की काव्य नर्तकी के रूप में वर्णित किया गया है। “
लक्ष्मी विश्वनाथन ने वजुवूर स्कूल की श्रीमती कौशल्या से अपनी आरंभिक नृत्य शिक्षा ली थी। उसके बाद उन्होंने गणेशन पिल्लई और शंकर के अधीन सीखा और अंत में कांचीपुरम के विद्वान एलप्पा पिल्लई के संरक्षण में आ गईं।
उन्होंने कर्नाटक संगीत में भी प्रशिक्षण प्राप्त किया और टी. मुक्ता से पदम सीखा। उन्होंने गुरु वेम्पति चिन्ना सत्यम से कुचिपुड़ी नृत्य का प्रशिक्षण भी प्राप्त किया था ।
लक्ष्मी 1970 के दशक से भारत और विदेशों में प्रदर्शन कर रही और अभिनय में विशेषज्ञता रखने वाली एक उल्लेखनीय कलाकार मानी गईं ।
उनकी प्रस्तुतियों में वट वृक्ष और चटमंगा को व्यापक सराहना मिली है। उन्हें कई अन्य पुरस्कारों के अलावा राज्य पुरस्कार, कलईमामणि और केंद्रीय संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार प्राप्त हुए थे ।
नृत्य चूड़ामणि की उपाधि प्राप्त लक्ष्मी विश्वनाथन मद्रास में दो वर्ष तक नाट्य कला सम्मेलन की समन्वयक रही हैं।
उन्होंने यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका में भरतनाट्यम नृत्य की कार्यशालाएं भी आयोजित की थीं। ‘भरतनाट्यम: द तमिल हेरिटेज’ पर एक पुस्तक प्रकाशित की थी और ‘द पोएट्री ऑफ डांस’ विषय पर एक फिल्म बनाई थी ।