नई दिल्ली, 16 मार्च (जनसमा)। ‘‘प्राकृतिक आपदाओं के बारे में पूर्वानुमान बताने और उस संबंध में जानकारी देने के लिए हिमालय क्षेत्र में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा परीक्षणात्मक आधार कई परियोजनाएं चलाई जा रही हैं।’’
यह जानकारी केंद्रीय कार्मिक एवं प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री डाॅ. जितेन्द्र सिंह ने बुधवार को लोकसभा में दी। उन्होंने बताया कि इसरो ने पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में भारी वर्षा और बादल फटने की घटनाओं के बारे में चेतावनी देने के लिए एक माॅडल विकसित किया है। इसका प्रयोग परीक्षण के तौर पर उत्तराखण्ड और हिमाचल प्रदेश में किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि इसके अलावा उत्तराखण्ड में वर्षा के कारण होने वाले भूस्खलन की चेतावनी देने के लिए भी प्रणाली विकसित की गई है। इसके अंतर्गत उत्तराखण्ड में गंगोत्री, बद्रीनाथ तथा केदारनाथ तक जाने वाले मार्गों तथा पिथौरागढ़-मालपा मार्ग में वर्षा के कारण होने वाली भूस्खलन के लिए पूर्व चेतावनी प्रणाली विकसित की गई है।
जितेन्द्र सिंह ने यह भी बताया कि असम में असम आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सहयोग से एक बाढ़ पूर्व चेतावनी प्रणाली का विकास किया गया है जो उपग्रह आधारित है। इससे असम के सभी 25 बाढ़ पीड़ित जिलों की जानकारी मिलेगी।
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