शिमला, 26 मई (जनसमा)। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि वह व्यक्तिगत रूप से विद्यार्थियों की, विशेषकर प्राथमिक पाठशालाओं में मासिक अथवा त्रैमासिक परीक्षा प्रणाली को आरम्भ करने के पक्षधर हैं, ताकि उनके प्रदर्शन का बेहतर आंकलन किया जा सके। उन्होंने कहा कि प्रत्येक बच्चे के प्रदर्शन का मूल्यांकन करने तथा कमजोर विद्यार्थियों के प्रति और अधिक ध्यान देने के साथ-साथ अध्यापकों के प्रदर्शन का मूल्यांकन करने की भी आवश्यकता है।
वीरभद्र सिंह ने यह बात गुरूवार को यहां उच्च एवं प्रारम्भिक शिक्षा विभाग के उप-निदेशकों, जिला परियोजना अधिकारियों एवं उच्च पाठशालाओं के प्रधानाचार्यों तथा कलस्टर प्रमुखों के लिए हिमाचल प्रदेश में गुणात्मक शिक्षा पर आयोजित सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि प्राथमिक शिक्षा विद्यार्थियों को शैक्षिक तथा निजी तौर पर विकसित करने का आधार है और प्रदेश सरकार प्राथमिक शिक्षा प्रणाली को और सुदृढ़ करने पर बल दे रही है। उन्होंने कहा कि ग्रेडिंग प्रणाली से मूल शिक्षा का ढांचा कमजोर हुआ है, क्योंकि बच्चा उच्च कक्षाओं में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाता और बाद की अवस्था में सीखने के लिए देरी हो जाती है। उन्होंने कहा कि सरकार ने पहली कक्षा से विद्यार्थियों को हिन्दी, गणित तथा अंग्रेजी पढ़ाना अनिवार्य किया है, ताकि उच्च शिक्षा के दौरान बच्चे बेहतर प्रदर्शन कर सकें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार स्कूलों में बायोमिट्रिक मशीनें लगाने पर विचार कर रही है, ताकि समय की पाबंदी को सुनिश्चित बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि अनुपस्थिति पर नियंत्रण रखने के उददेश्य से पहले चरण में 136 पाठशाओं में जुलाई माह तक बायोमिट्रिक मशीनें लगा दी जाएंगी। उन्होंने कहा कि इस तरह की और मशीनें पाठशालाओं में चरणबद्ध तरीके से स्थापित की जाएंगी।