नई दिल्ली, 24 जुलाई | बॉलीवुड के फिल्म निर्देशक संतोष बादल को मिथिलालोक संस्था ने अपनी मुहिम ‘पाग बचाउ अभियान’ के तहत पाग पहनाकर सम्मानित किया। बादल मैथिली फिल्म ‘उगना रे कखन हरब दुख मोर’ और टीवी धारावाहिक ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ की प्रारंभिक कड़ियों का निर्देशन भी कर चुके हैं। शनिवार को एक निजी कार्यक्रम में मिथिलालोक के चेयरमैन डॉ. बीरबल झा ने संतोष बादल को पाग से सम्मानित कर औपचारिक रूप से उन्हें इस संस्था की सदस्यता प्रदान की। इस अभियान से जुड़ने के बाद निर्देशक ने कहा कि वह मिथिला की संस्कृति से काफी प्रभावित हैं और इस अभियान को आने वाली फिल्मों के जरिए आगे बढ़ाएंगे।
मैथिली फिल्म ‘उगना रे कखन हरब दुख मोर’ के जरिए संतोष बादल ने दिखाया है कि मैथिल कवि-कोकिल विद्यापति की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव उनके घर एक नौकर ‘उगना’ का रूप लेकर आए थे। विद्यापति ने उन्हें पहचान लिया था, लेकिन शिव ने कहा था कि यह बात वह अपने तक ही सीमित रखें, जिस दिन वह किसी को उगना की असलियत बताएंगे, उगना उसी दिन अलोपित हो जाएगा।
एक दिन जंगल से लकड़ी लाने में उगना ने देर कर दी। विद्यापति की पत्नी सुधीरा झाड़ू उठाकर उसे मारने दौड़ी। उसी क्षण विद्यापति के मुंह से निकल गया, “अरे, अहां ई की क’ रहल छी, उगना त’ साक्षात महादेव छथि।” (अरे, आप यह क्या कर रहे हैं, उगना तो साक्षात महादेव हैं) विद्यापति ने अनजाने में पत्नी को उगना का परिचय दे दिया। उगना यानी शिव उसी क्षण विलुप्त हो गए। विद्यापति पश्चाताप करते रह गए, उगना की खोज में दर-दर भटकते रह गए।
इस फिल्म के लिए बादल को काफी सराहना मिली थी। मिथिला में उगना के नाम पर आज भी भव्य प्राचीन मंदिर है। मधुबनी जिले में पंडौल के समीप रेलवे का उगना हॉल्ट भी है।
कार्यक्रम में डॉ. बीरबल झा ने कहा कि पाग सम्मान का कार्यक्रम आगे भी जारी रहेगा और संस्था इस मुहिम से आम लोगों के साथ-साथ महान हस्तियों का जोड़ने का प्रयास भी करती रहेगी।
हस्तियों के जुड़ने का महत्व बताते हुए झा ने कहा कि इस माध्यम से सम्मानित व्यक्तियों में एक तरफ जहां समाज के लिए काम करने का मनोबल आएगा, वहीं दूसरी तरफ समाज और संस्था के प्रति उनकी जिम्मेदारी भी बढ़ेगी।
कार्यक्रम में मुंबई से आईं लेखिका कुमारी प्रीति के साथ-साथ शिमला से आए चार्टड अकाउंटेट और सामाजिक उद्यमियों को भी पाग पहनाकर सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर मिथिलालोक फाउंडेशन के ब्रांड एंबेसडर और चर्चित गायक विकास झा ने हाल ही में रिलीज अलबम ‘पाग कांवड़िया’ के गीतों से दर्शकों का खूब मनोरंजन किया।
‘पाग’ पगड़ी और टोपी का मिश्रित रूप है। यह मिथिला का सांस्कृतिक प्रतीक है। मिथिलालोक की पहल पर इस बार सावन में मिथिला के कांवड़िये पाग पहन कर सुल्तानगंज से देवघर तक का सफर तय कर रहे हैं, ताकि हजारों शिवभक्तों के बीच उगना के उपासकों की पहचान बनी रहे। –आईएएनएस
Follow @JansamacharNews