मुंबई, 6 फरवरी | डिजाइनर गौरांग शाह ने बुनाई कारीगरी को शानदार तरीके से पुनर्जीवित किया और खादी को फिर से लोकप्रिय बनाया। वह इस बात से बेहद खुश हैं कि फैशन उद्योग ने हथकरघा का स्वागत किया है और इसे अपना लिया है।
शाह ने आईएएनएस को बताया, “एक वस्त्र डिजाइनर के रूप में मैं कहना चाहूंगा कि भारतीय फैशन उद्योग ने हथकरघा को पूरे सम्मान के साथ अपनाया है और हमारी पारंपरिक बुनाई कला का पुनरुद्धार किया है। जैसे जमदानी बुनाई का इस्तेमाल हम अपने फैशन परिधानों को बनाने में करते हैं।”
डिजाइनर का कहना है कि यह दुनिया भर में अपने अद्वितीय सौंदर्य को बढ़ाता है।
शाह ने 40 परिधानों के संग्रह को ‘मुसलिन’ नाम से लैक्मे फैशन वीक समर/रिसॉर्ट 2017 में पेश किया। उनका संकलन प्रकृति के रोमांस से प्रेरित था।
अपने रेंज के बारे में डिजाइनर ने बताया कि उनके संग्रह में पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान की बुनाई और तकनीक को शामिल किया गया है। सभी सफेद रंग के परिधानों पर भव्य मुगल रूपांकनों, खादी पर ज्यामितीय पैटर्न, चिकनकारी कढ़ाई और खूबसूरत पारसी गारा कढ़ाई का इस्तेमाल हुआ है।
डिजाइनर के संग्रह को तैयार करने के लिए 50 बुनकरों ने छह महीने लगातार काम किया।
शाह की खूबसूरत बुनाई वाली कांजीवरम साड़ी को 69वें कांस फिल्म महोत्सव के दौरान फिल्म ‘सरबजीत’ की निर्माता दीपिका देशमुख पहन चुकी हैं। डिजाइनर कहते हैं कि हथकरघा भारत की गौरवशाली विरासत है और इसका संरक्षण करना और बुनकर समुदाय की मदद करना आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि कुछ साल पहले यह खूबसूरत कला विलुप्त होने के कगार पर थी, लेकिन कुछ लोगों के प्रयासों ने इसे पुनर्जीवन दिया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों और प्रचार से उच्च स्तर पर भारतीय हैंडलूम की स्वीकार्यता बढ़ी है।
शाह ने महज दो बुनकरों के साथ काम करना शुरू किया था और आज उनके लेबल के साथ 700 से ज्यादा बुनकर जुड़े हुए हैं। –आईएएनएस
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