नई दिल्ली, 4 जुलाई | सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में 2,000 सीसी क्षमता वाले बड़े डीजल वाहनों के पंजीकरण पर लगा प्रतिबंध हटाने को लेकर दायर की गई याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है। केंद्र सरकार ने प्रतिबंध हटाने का आग्रह किया और साथ ही किसी भी तरह का पर्यावरण कर लगाने का विरोध किया।
महान्यायवादी मुकुल रोहतगी ने शीर्ष न्यायालय के 16 दिसंबर, 2015 के फैसले को बदलने की मांग करते हुए न्यायमूर्ति टी.एस. ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ से आग्रह किया कि न्यायालय को इस पर कोई कर नहीं लगाना चाहिए, क्योंकि सरकार इस मुद्दे पर एक रपट के साथ वापस लौटने का प्रस्ताव रख रही है।
उन्होंने रपट पेश करने के लिए छह महीने का समय मांगा और कहा, “मुझे नहीं लगता कि न्यायालय द्वारा कर लगाना उचित है, क्योंकि कर लगाने का काम संविधान की योजना के तहत किया जाना चाहिए।”
केंद्र सरकार का यह रुख बड़ी कारों के पंजीकरण पर प्रतिबंध हटाने को लेकर मर्सिडीज बेंज और टोयोटा सहित कार निर्माताओं की ओर से दायर याचिकाओं की सुनवाई के दौरान आया है, जिसमें कहा गया है कि वे पर्यावरण कर के तौर पर कार की कीमत का एक प्रतिशत जमा करेंगे। —आईएएनएस
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