वाराणसी, 18 जून| आईआईटी, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) ने सौर ऊर्जा से चलने वाली कार बनाने का दावा किया है। यह कार अगले कुछ महीनों में बाजार में उतारी जाएगी। सौर उर्जा से कार में एसी भी चलेगा। आईआईटी, बीएचयू के मेकैनिकल इंजीनियरिंग विभाग में गत 16 जून को इस कार का परीक्षण किया गया। लेकिन फिलहाल यह कार पूर्ण रूप से सौर ऊर्जा से संचालित नहीं होगी। इसे डीजल और बायो डीजल के मिश्रण से चलाया जाएगा।
सोलर कार बनाने वाले दल के प्रमुख प्रो़ एस.के. शुक्ला और प्रोजेक्ट मैनेजर डॉ. जे.वी. तिर्की के अनुसार, अभी कार की इलेक्ट्रिक प्रणाली को सौर ऊर्जा पैनल से जोड़ा गया है। कार की छत पर लगाया गया सोलर पैनल इसकी बैटरियों को ऊर्जा देगा। यह परियोजना (प्रोजेक्ट) टाटा मोटर्स के सहयोग से चलाई जा रही है।
प्रो़ शुक्ला ने बताया, “सोलर पैनल छत पर लगे होने के कारण कार के अंदर गर्मी नहीं होगी। एक बार एसी चलाकर थोड़ी देर बाद बंद कर देने पर कार में काफी देर तक ठंडक बनी रहेगी।”
उन्होंने बताया कि यह पैनल सूरज की किरणों से 180 वाट तक ऊर्जा संरक्षित करेगा, जो कार को स्टार्ट करने, रात में बल्ब जलाने और पंखे चलाने के लिए पर्याप्त होगाी। एसी का ब्लोअर भी इससे चलाया जा सकता है।
डॉ. तिर्की ने बताया कि अभी इतनी ऊर्जा इस पैनल से नहीं मिल रही है कि बिना पेट्रोल या डीजल के कार को चलाया जा सके। हालांकि बाद में सुधार करके उच्च क्षमता वाले पैनलों के जरिये यह भी संभव हो सकता है। इसके लिए कम से कम 400 किलोवाट ऊर्जा की जरूरत होगी।
तिर्की के मुताबिक यह कार डीजल और बायोडीजल के मिश्रण से चलेगी। बायोडीजल की वजह से ईंधन की कीमत और खपत कम होगी। इससे कार की गति सामान्य कारों जैसी ही रहेगी। इस कार को पूरी तरह बायोडीजल से चलाने पर शोध चल रहा है।
डॉ. तिर्की ने बताया कि परीक्षण पूरा होने के बाद ही पता चलेगा कि एक लीटर बायोडीजल से यह कार कितनी दूरी तय करेगी? लेकिन यह कार काफी किफायती होगी, जिसके लिए कार के इंजन में बदलाव करने की जरूरत नहीं होगी। (आईएएनएस)
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