नई दिल्ली, 11 अक्टूबर | पाकिस्तान से बलूचिस्तान को स्वतंत्र करने के लिए लंबे समय से अभियान चला रहीं बलूचिस्तान की लेखिका नाएला कादरी बलूच मंगलवार को नई दिल्ली पहुंचीं। वह बलूचिस्तान की निर्वासित सरकार गठित करना चाहती हैं। नाएला बलूच ने भारत का वीजा पाने के लिए लगभग तीन महीने तक इंतजार किया। वह अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में रहती हैं और वहीं से से नई दिल्ली पहुंची हैं।
नाएला बलूच ने बातचीत में कहा, “मैं यहां पहुंचकर बहुत खुश हूं। मैं दिल्ली में एक हफ्ते रहने के बाद दूसरे शहरों का दौरा करने के बारे में सोच रही हूं।”
उन्होंने कहा, “दिल्ली में मुझे कई काम हैं। मैं यहां निर्वासित बलूच सरकार के गठन के लिए समर्थन जुटाने के लिए कई राजनेताओं से मिलने के बारे में सोच रही हूं।”
उनका इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उनके बेटे मजदाक दिलशाद बलूच एवं कई अन्य बलूच कार्यकर्ताओं ने स्वागत किया। मजदाक अगस्त से ही दिल्ली में हैं।
मजदाक ने कहा, “मेरी मां बलूच आंदोलन से जुड़ी कई गोष्ठियों और कार्यक्रमों में भाग लेंगी। वह हमारे अभियान के लिए समर्थन जुटाने के मकसद से सरकार में कई लोगों से मिलेंगी।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त के भाषण में जब से बलूच मुद्दे को उठाया है, तब से पाकिस्तान और अन्य देशों से कई बलूच नेता नई दिल्ली आ रहे हैं।
क्षेत्रफल की दृष्टि से पाकिस्तान के सबसे बड़े प्रांत बलूचिस्तान में लंबे समय से विद्रोह होता चला आ रहा है जिसके लिए पाकिस्तान, भारत पर दोष मढ़ता है।
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