नई दिल्ली, 11 अप्रैल (जनसमा)। बाघों की लुप्त हो रही प्रजाति और उनके संरक्षण के मुद्दे पर मंगलवार को नई दिल्ली में तीन दिवसीय तीसरा एशियाई सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है। इस सम्मेलन का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उदघाटन करेंगे।
फोटोः कोलकाता के अलीपुर वन्य प्राणी उद्यान में उड़ीसा के नन्दनकानन से लाए गए बाघों में से एक बाघ। (आईएएनएस)
इस सम्मेलन में बाघों के संरक्षण से जुड़े मुद्दों पर विचार-विमर्श के लिए 700 विशेषज्ञ, वैज्ञानिक, प्रबंधक, दानदाता और अन्य संबंधित पक्ष हिस्सा लेंगे। सम्मेलन में टाइगर रेंज के सभी देशों के मंत्री और अधिकारी हिस्सा लेंगे। जिन देशों के मंत्री और अधिकारी इसमें हिस्सा लेंगे, उनमें बांग्लादेश, भूटान, कंबोडिया, चीन, भारत, इंडोनेशिया, लाओ पीडीआर, मलेशिया, म्यांमार, नेपाल, रूसी संघ, थाईलैंड, वियतनाम शामिल हैं।
इसके अलावा किर्गिज गणराज्य, कजाकस्तान भी सम्मेलन में हिस्सा लेंगे, जहां हिम तेंदुए पाए जाते हैं। टाइगर रेंज के कुछ देशों जैसे भारत, नेपाल, रूस और भूटान में बाघों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन यहां अभी भी इसकी प्रजाति खतरे में है। टाइगर रेंज के कुछ देशों बाघों की तादाद बेहद कम हो गई है और ये लुप्त होने के कगार पर पहुंच गए हैं। बाघ संरक्षण के लिहाज से यह बेहद चिंता का विषय है।
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री ( स्वतंत्र प्रभार) प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, हमने मौजूदा वित्त वर्ष के दौरान देश में प्रोजेक्ट टाइगर के लिए 380 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जो अब तक कि सबसे ज्यादा राशि है। इससे पता चलता है कि सरकार देश के राष्ट्रीय पशु बाघ के संरक्षण के लिए किस हद तक प्रतिबद्ध है।
जावड़ेकर ने कहा कि यह सरकार और बाघ संरक्षण से जुड़े अन्य पक्षों के लगातार प्रयास का ही नतीजा है कि दुनिया भर के जंगली बाघों के 70 फीसदी से अधिक भारत में हैं। उन्होंने कहा कि बाघों को बचाने के मतलब पारिस्थितिकी संतुलन बरकरार रखने से कुछ ज्यादा है। यह जलवायु परिवर्तन के नुकसान से बचाने में मददगार है।
वर्ष, 2010 में सेंट पीटर्सबर्ग में आयोजित ग्लोबल टाइगर समिट में टाइगर रेंज के देशों ने 2022 तक बाघों की संख्या दोगुना करने की प्रतिबद्धता जताई थी। इसके साथ ही ग्लोबल/नेशनल टाइगर रिकवरी प्रोग्राम को भी अपनाया गया था।
इस सम्मेलन का आयोजन पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण, ग्लोबल टाइगर फोरम, ग्लोबल टाइगर इनिशिएटिव काउंसिल, वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ और वाइल्ड लाइफ कंजर्वेशन इंडिया जैसे संगठन मिलकर कर रहे हैं।
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