नई दिल्ली, 15 अप्रैल (जनसमा)। बाघ संरक्षण पर तीसरे एशियाई मंत्रिस्तरीय सम्मेलन के समापन सत्र में ‘नई दिल्ली प्रस्ताव’ पारित किया गया। सम्मेलन में पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि स्थानीय लोगों और अन्य बाघ प्रेमियों की भागीदारी से बाघ संरक्षण को अभियान को गति दी जा सकती है।
जावड़ेकर ने कहा कि ‘’हमें स्थानीय समुदायों की भागीदारी में विश्वास है क्योंकि वे असली संरक्षक हैं।‘’ बहुपक्षीय और द्विपक्षीय चैनलों के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय संगठनों से धन और तकनीकी सहायता का लाभ भी महत्वपूर्ण है।
चीन के हार्बिन साइबेरियाई बाघ पार्क में बाघ शावक फोटो: सिन्हुआ/ वांग काई / आईएएनएस
प्रस्ताव में कहा गया है कि आधुनिक तकनीक के माध्यम से बाघों के प्राकृतिक वास और वन क्षेत्रों में सुधार किया जाएगा तथा अवैध शिकार को रोकने के लिए निगरानी तंत्र में स्थानीय लोगों और अन्य बाघ प्रेमियों की भागीदारी को सुनिश्चित किया जाए
उन्होंने कहा कि सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री के विचारों के अनुरूप् बाघों का संरक्षण ‘’प्राकृतिक संपदा’’के रूप में किया जाएगा।
इस तीन-दिवसीय सम्मेलन में 13 टाइगर रेंज देशों के मंत्रियों ने हिस्सा लिया। 2010 में सेंट पीटर्सबर्ग में आयोजित बाघ शिखर
बैठक के बाद यह तीसरा सम्मेलन है। इससे पहले पहला सम्मेलन थाइलैंड के हुआ हिन में 2010 में और दूसरा सम्मेलन भूटान के थिम्पू में 2012 में हुआ था।
सम्मेलन में बांगलादेश, कंबोडिया, मलेशिया, नेपाल, रूस, किर्गिज गणराज्य, इंडोनेशिया, भूटान भारत की ओर से महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, कर्नाटक और राजस्थान केे मंत्रियों के अलावा अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों, वन्य जीव संरक्षकों और वैज्ञानिकों ने भी बड़ी संख्या में भाग लिया।
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