भोपाल, 20 जून (जनसमा)। मध्यप्रदेश सरकार ने बालिकाओं को माहवारी के दौरान बीमारियों से बचाने और स्वच्छता के प्रति जागरूक बनाने के लिए प्रदेश में 53 हजार से अधिक उदिता केन्द्र स्थापित किए हैं। इन केन्द्रों के जरिये बालिकाओं को सेनेटरी नेपकिन उपलब्ध करवाए जाते हैं और उन्हें बनाना भी सिखाया जाता है।
फोटो : उदिता कार्नर में हर माह होने वाले विशेष सत्र में बालिकाओं को जागरूक करती कार्यकर्ता।
उदिता योजना पायलट के तौर पर तीन जिले ग्वालियर, इंदौर और झाबुआ में शुरू की गई थी। बेहतर परिणाम आने पर इसका विस्तार छ: जिलों भोपाल, राजगढ़, विदिशा, सीहोर, रायसेन और बुरहानपुर में किया गया। आज यह योजना प्रदेश के सभी जिलों में चल रही है। लक्ष्य है कि प्रदेश की सभी 92 हजार ऑगनवाडि़यों में उदिता केन्द्र स्थापित हों।
उदिता कार्नर में हर माह के चौथे मंगलवार या अन्य निश्चित दिन किशोरियों के लिए माहवारी एवं स्वच्छता पर विशेष सत्र होता है। इसमें अर्श क्लीनिक के सलाहकार, ए.एन.एम. और आशा कार्यकर्ता को बुलाया जाता है। घर की बुजुर्ग महिलाओं को भी इस सत्र में शामिल किया जाता है। महिला सरपंच, पंच और शिक्षिका भी इसमें आती हैं। सत्र में सेनेटरी नेपकिन के उपयोग के बारे में बताया जाता है।
उदिता कार्नर के अलावा विद्यालयों, महाविद्यालयों, कन्या छात्रावास, शासकीय एंव निजी अस्पतालों, महिला के काम करने के स्थान, स्थानीय दुकान, स्व-सहायता समूहों एवं अन्य सार्वजनिक स्थानों पर सेनेटरी नेपकिन उपलब्धता के लिए वेंडिंग मशीन लगाई जा रही है। जिससे बगैर हिचक के किशोरियाँ इसे प्राप्त कर सकें। अभी तक प्रदेश में 600 वेंडिंग मशीन लगाई जा चुकी हैं।
उदिता योजना की पहल का किशोरियों ने स्वागत किया है। विशेषकर ग्रामीण क्षेत्र की किशोरियाँ इससे काफी खुश हैं। होशंगाबाद के सिवनी मालवा के हिरनखेड़ा आँगनवाड़ी में बने उदिता कार्नर से 158 किशोरियाँ लाभान्वित हुई हैं। अब वे पारंपरिक घरेलू साधन के बजाए उदिता कार्नर से मिल रहे सेनेटरी नेपकिन का इस्तेमाल करती हैं। इनका कहना है कि घर में झिझक के कारण वे इसका उपयोग नहीं कर पाती थीं, लेकिन अब यह समस्या समाप्त हो गई है। दुर्गा चंदा, निकिता, पूजा, आरती और प्रिया की यह प्रतिक्रिया थी। छिन्दवाड़ा जिले के पाटनढाना की 59 बालिकाएँ भी यही कहती हैं।
मध्यप्रदेश में 28 मई को मनाए गए माहवारी स्वच्छता दिवस में 18 लाख किशोरी बालिका को उदिता कार्नर के संबंध में प्रशिक्षण दिया गया। इस दिवस पर नृत्य-नाटिका, क्विज, फिल्म प्रदर्शन और विशेषज्ञों के जरिये बालिकाओं को जागरूक बनाया गया।
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