जयपुर, 20 अप्रैल (जनसमा)। बाल विवाह की रोकथाम के लिए विवाह सम्पन्न कराने में सहयोगी हलवाई, पंडित, पाण्डाल व टेन्ट लगाने वाले लोगों को सहयोग न करने के लिए एवं उन्हें कानून की जानकारी देने के लिए कहा गया है। इसी प्रकार विवाह हेतु निमंत्रण पत्र वाले छापने प्रिंटिंग प्रेस वालों को भी कहा गया है कि वे शादी के कार्ड में वर-वधू की जन्म तारीख प्रिंट करने पर बल देने के साथ ही वर-वधू के आयु के प्रमाण-पत्र अपने पास रखें।
फोटोः कोलकाता में बाल विवाह के विरोध में 4 सितम्बर, 2015 को रैली निकालते लोग। (आईएएनएस)
राजस्थान के गृह विभाग द्वारा इस सम्बन्ध में जारी पत्र में कहा गया है कि अक्षय तृतीया (आखातीज) 9 मई एवं पीपल पूर्णिमा 21 मई पर होने वाले बाल विवाहाेंं को रोकने के लिए समाज की मानसिकता एवं सोच में सकारात्मक परिवर्तन लाना आवश्यक है। इन अवसरों पर विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में बाल विवाहों के आयोजन की प्रबल संभावना रहती है। इसी प्रकार सभी स्कूलों को निर्देश दिये गये हैं कि वे विद्यालयों के स्तर पर बव्च्चों को बाल विवाह के दुष्परिणामों व इससे संबंधित विधिक प्रावधानों की जानकारी दें।
बाल विवाहों की रोकथाम के लिए समस्त जिला कलक्टर एवं जिला पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिये गये हैं कि वे बाल विवाहों की रोकथाम के लिए अपने-अपने क्षेत्र में समुचित कदम उठायें एवं सूचना प्राप्त होने पर बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम-2006 के तहत कानूनी कार्यवाही करें।
पत्र में बाल विवाह की रोकथाम के लिए विभिन्न विभाग जैसे सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग के ग्राम स्तरीय कार्यकर्ताओं को सक्रिय रहने के लिए कहा गया है। साथ ही पटवारी, अध्यापिका इत्यादि को बाल विवाह होने पर निकट के पुलिस स्टेशन में सूचना देने के लिए पाबंद किया गया है। सार्वजनिक स्थानों पर सूचना बॉक्स रखने एवं इसके लिए नियंत्रण कक्ष स्थापित करने को कहा है।
बाल विवाह के आयोजन किये जाने की स्थिति में बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम-2006 की (उपखण्ड मजिस्टे्रटस) की जवाबदेही निर्धारित करने एवं जिनके क्षेत्रों में बाल विवाह सम्पन्न होने की घटना होती है, उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही करने को कहा गया है।
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