नई दिल्ली, 18 जनवरी। दिल्ली की तीन बिजली वितरण कंपनियों के खातों का ऑडिट कैग से कराने के मामले में उच्चतम न्यायालय ने नोटिस देकर जवाब मांगा है कि वह ऑडिट क्यों नहीं चाहते। न्यायालय ने यह नोटिस दिल्ली सरकार, सीएजी और एनजीओ ऊर्जा की याचिका पर दिया है। वहीं दिल्ली सरकार ने कहा है कि सरकार का इनमें 49 फीसदी शेयर है। बिजली वितरण कंपनियों के खातों में बड़ी गड़बड़ियां हैं।
न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर की अध्यक्षता वाली पीठ ने तीनों कंपनियों टाटा पॉवर दिल्ली डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड (टीपीडीडीएल), बीएसईएस राजधानी पावर लिमिटेड और बीएसईएस यमुना पॉवर लिमिटेड से चार सप्ताह के अंदर अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा और मामले की अंतिम सुनवाई दो मार्च के लिए नियत कर दी। मंगलवार को इस मामले पर सुनवाई होगी। पीठ दिल्ली सरकार, कैग और गैर सरकारी संगठन यूनाइटेड आरडब्ल्यूए जॉइंट एक्शन (यूआरजेए) द्वारा दायर अपीलों पर सुनवाई कर रही थी।
अपीलों में दिल्ली उच्च न्यायालय के इस आदेश को चुनौती दी गई है कि इन बिजली वितरण कंपनियों का कैग द्वारा ऑडिट नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह कंपनियां पहले ही दिल्ली बिजली नियामक आयोग (डीईआरसी) के अधिकार क्षेत्र में आती हैं।
जानकारी हो कि उच्च न्यायालय ने कहा था कि दिल्ली सरकार को बिजली कंपनियों के खातों का सीएजी से ऑडिट कराने का अधिकार नहीं है। साल 2014 में दिल्ली की बिजली कंपनियों के ऑडिट का आदेश दिया था, जिसे दिल्ली की तीन बिजली कंपनियों टाटा पावर, दिल्ली ड्रिस्ट्रिब्यूशन लिमिटेड, बीएसईएस, राजधानी पावर लिमिटेड और बीएसईएस यमुना पावर लिमिटेड ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। (हि.स.)
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